क्रिप्टोकरेंसी यानी आभाषी मुद्रा को लेकर रिजर्व बैंक ने बैंकों को फिर चेताया है। आरबीआई ने बैंकों से कहा है कि वह क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज से सभी तरह के करार की दोबारा समीक्षा करें और उसे खत्म करें। क्रिप्टोकरेंसी में तेज उतार-चढ़ाव और आशंकाओ को देखते हुए केन्द्रीय बैंक ने यह फैसला किया है। मामले से जुड़े तीन सूत्रों ने इसकी जानकारी दी। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट बैंको को क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज और कारोबारियों के साथ काम करने की अनुमति दे चुका है।
उल्लेखनीय है कि भारत सरकार क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध के लिए कानून लाने वाली है क्योंकि इसको दुनियाभर में शंका की नजर से देखा जाता है। कोरोना संकट के दौर में दुनियाभर में बड़ी मात्रा में क्रिप्टोकरेंसी में निवेश हुआ है। हालांकि, निवेशकों में इस बात को लेकर असमंजस बरकरार है कि संसद में क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध का बिल कब पास होगा। इसके पहले 2018 में रिजर्व बैंक ने बैंको के निर्देश दिया था कि वह क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज और उनके कारोबारियों के खातों पर प्रतिबंध लगा दें। लेकिन रिजर्व बैंक के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई और मार्च 2020 में शीर्ष अदालत ने बैंकों को क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज के साथ काम जारी करने की अनुमति दे दी।
भारत में 10 हजार करोड़ निवेश
दुनियाभर में क्रिप्टोकरेंसी में निवेश से मोटी कमाई को देखते हुए भारत में भी इसमें निवेश को लेकर बेहद तेजी आई है। भारत में क्रिप्टोकरेंसी में निवेश करन वाले निवेशकों की संख्या एक करोड़ के करीब पहुंच गई है। अनुमान के मुताबिक भारत में विभिन्न क्रिप्टोकरेंसी में 10 हजार करोड़ रुपये (1.36 अरब डॉलर) निवेश हो चुका है। मामले से जुड़े एक शीर्ष बैंक अधिकारी ने बताया कि रिजर्व बैंक ने हमे कहा है कि जब क्रिप्टोकरेंसी में उतार-चढ़ाव को संदेह की नजर से देखा जा रहा है और बड़ी मात्रा में इसके जरिये भारतीय मुद्रा बाहर जा रही है जिसमें मनी लॉन्ड्रिंग की आशंका भी है तो ऐसे में इनसे जुड़े लोगों के साथ कारोबार क्यों किया जा रहा है।