भारत की 60 प्रतिशत आबादी गाँवों में रहती है जिनका व्यवसाय कृषि पर आधारित है। सफल कृषि उद्यमियों की संख्या बेहद कम है, वही मध्यप्रदेश जैसे राज्य में वस्तुत: और भी कम है। भारत विश्व का बड़ा दुग्ध उत्पादक देश है और दुग्ध उत्पादक क्षेत्र में भारत लगातार प्रगति कर रहा है। एक अनुमान के अनुसार वर्ष 2022 तक 254.5 मिलियन टन तक पहुचने की उम्मीद है।
सरकार का लक्ष्य है की देश के नागरिकों को पोष्टिक एवं शुद्ध दूध की पर्याप्त उपलब्धता हो। सरकार दूध व्यवसाय को बढ़ाने के लिए नए उद्यमियों को इस क्षेत्र में प्रोत्साहित करने के लिये राष्ट्रीय गोकुल मिशन, राष्ट्रीय डेयरी महासंघ, डेयरी प्रसंस्करण, डेयरी उद्यमियों विकास योजना जैसे कई योजनाएं संचालित की है।
मध्यप्रदेश के सिंगरौली जिले में स्थापित हिंडालको महान एल्युमिनियम प्रोजेक्ट सामाजिक दायित्व के तहत आस -पास के 17 गाँवों में कृषि एव पशुपालन को लाभ का धंधा बनाने के लिए कार्य कर रहा है। पशुपालन के माध्यम से सफल उद्यमी बनकर बृजेश कुमार जैसे लोग “अपने स्वयं के निर्माता” के प्रतिभाशाली उदाहरण हैं। सिंगरौली जिले की ओड़गड़ी गाँव के बृजेश कुमार वैश्य सफलतम किसानों और डेयरी उद्यमियों में से एक है। उनका जीवन केवल प्रेरणादायक ही नही अपितु उनका विश्वास व दृड़ संकल्प डर से लड़ने का जिवंत उदाहरण है।
पेशे से किसान बृजेश कुमार भारत के लाखों किसानों और उद्यमियों के लिए रोल मॉडल बन गए हैं। वे सफल होने का लक्ष्य रखते है। वास्तव में केवल उन्होंने वक्तिगत सफलता ही नही हासिल की ,बल्कि क्षेत्र के अन्य किसानों के सशक्तिकरण के लिए भी कार्य किया। कृषि एक कठिन क्षेत्र है और यहाँ हर कोई सफल नही होता। बृजेश जो कल तक जिविकोपार्जन के लिए इधर उधर भटक रहा था लेकिन अब उसने हिंडाल्को महान के सीएसआर द्वारा प्रशिक्षण की मदद से अपना आर्थिक विकास किया। साथ ही बृजेश कई लोगों को रोजगार देने में सफल हुआ है।
बृजेश के पिता एक सामान्य किसान है। उनके पिता बताते है की बृजेश का मन पढ़ाई में कम ही लगता था, किसी तरह से बृजेश ने दसवीं तक की पढ़ाई की। खेती में तो अपना केरियर बनाने का निर्णय बृजेश बचपन से ही ले चूका था। सिंगरोली जिले के बरगवा क्षेत्र में हिंडाल्को महान परियोजना की स्थापना के बाद , बढ़ती हुई दूध की मांग को देखते हुए बृजेश ने डेयरी को अपना स्वरोजगार बनाने का निर्णय लिया। अपने आस -पास के डेयरी के क्षेत्र में रूचि रखने वाले किसानों को जोड़ना शुरू किया और हिंडाल्को महान के सीएसआर विभाग टीम से संपर्क में आया। हिंडाल्को महान ने भी उसकी रूचि को देखते हए बृजेश समेत छत्तीस अन्य किसानों को साँची डेयरी जबलपुर प्रशिक्षण केंद्र से प्रशिक्षण दिलाया। इसके बाद सभी किसानों ने मिलकर दुग्ध व्यवसाय करने का निर्णय लिया।
बृजेश ने छत्तीस किसानों के साथ गंगा दुग्ध उत्पादन समिति बनाई जिसमें सभी किसान आपना दूध लेकर आते और सारा दूध होटल संचालकों तक पहुँचाया जाता। शुरू में रोजाना 90 लीटर दूध का उत्पादन होता था । दूध की बढ़ती मांग को देखते हुए समिति के सदस्यों ने आपनी गाय व भैंस की संख्या बढ़ाने का निर्णय लिया। अब दूध 90 से 170 लीटर प्रतिदिन होने लगा। वर्ष 2014 में 12 लोगों ने आठ गायों व चार भैसों से दुग्ध उत्पादन की शुरुआत की। पहले वर्ष कुल 4 लाख 59 हजार 900 रूपये की आमदनी हुई जिसमें प्रतिमाह प्रतिव्यक्ति 3193 रूपये शुद्ध लाभ 12 लोगों ने कमाये। इसी तरह से लोगों ने लाभ में कमाये पैसों से प्रतिवर्ष नए दुधारू जानवरों की खरीदी की और प्रतिवर्ष अपनी आय दुगनी करते गये। आज इनकी आय प्रतिमाह 11 हजार 630 रूपये प्रतिव्यक्ति हो चुकी है।
बढ़ती आमदनी को देख बृजेश ने सायकल के बजाय दूध वेन से पहुँचाने का निर्णय लिया। बैंक से लोन लेकर बृजेश ने वैन भी खरीद ली जिससे दूध होटल तक समय पर पहुचने लगा। अब वह दूध के साथ साथ पनीर व दही बनाकर भी बेचता है। दिन प्रतिदिन उसकी आमदनी बढ़ती जा रही है और अब उसके पास दस गाय व दो भैंस है। वह अब 30 हजार रूपये महीने की आमदनी प्राप्त करता है।
बृजेश की सफलता को देख अन्य ग्रामवासी भी इस तरह की दुग्ध समितियां बनाकर रोजाना 1100 लीटर से ज्यादा दुग्ध का उत्पादन कर रहे हैं।