भारत और चीन के बीच 2020-21 में द्विपक्षीय व्यापार में बढ़ोतरी हुई है। यह ऐसे वर्ष में हुआ है जब कोरोना महामारी को फैलने से रोकने के लिए बहुत से देशों में लॉकडाउन के कारण वैश्विक व्यापार में कमी आई है। देश में चीन के खिलाफ माहौल, चीन के साथ बॉर्डर को लेकर विवाद और अन्य मुश्किलों के बावजूद दोनों देशों के बीच व्यापार इससे पिछले वर्ष के मुकाबले अधिक रहा।
कॉमर्स एंड इंडस्ट्री मिनिस्ट्री के आंकड़ों के अनुसार, भारत ने 2020-21 में चीन से 65.21 अरब डॉलर का इम्पोर्ट किया। इससे पिछले वर्ष में यह आंकड़ा 65.26 अरब डॉलर का था। हालांकि, भारत से चीन को एक्सपोर्ट 27.5 प्रतिशत बढ़कर 21.19 अरब डॉलर पर पहुंच गया। 2020-21 में भारत का कुल इम्पोर्ट 17.1 प्रतिशत घटकर 393.60 अरब डॉलर रहा। एक्सपोर्ट में 7.2 प्रतिशत की कमी आई और यह 290.81 अरब डॉलर का था। इस वजह से भारत के इम्पोर्ट बिल में चीन की हिस्सेदारी बढ़कर 16.6 प्रतिशत की हो गई और एक्सपोर्ट में हिस्सेदारी 5.3 प्रतिशत से बढ़कर 7.3 प्रतिशत पर पहुंच गई।
केंद्र सरकार की ओर से मोबाइल फोमन के पोर्ट्स की लोकल मैन्युफैक्चरिंग और असेंबली को बढ़ावा देने के कारण टेलीकॉम डिवाइसेज का इम्पोर्ट घटकर 6.48 अरब डॉलर रह गया। इससे पिछले वर्ष में यह 15.59 अरब डॉलर का था।
भारत के लिए चीन केमिकल्स, विशेषतौर पर फार्मास्युटिकल इंडस्ट्री के लिए इंग्रीडिएंट्स का बड़ा जरिया बना हुआ है। दवाओं की मांग बढ़ने के कारण इनके इम्पोर्ट में तेजी आई है। हालांकि, चीन से ऑटोमोबाइल कंपोनेंट्स का इम्पोर्ट घट गया है।
देश से चीन को आयरन ओर, स्टील और ऑर्गेनिक केमिकल्स का अधिक एक्सपोर्ट किया गया। आयरन ओर के साथ ही स्टील के ग्लोबल प्राइसेज बढ़ने से एक्सपोर्ट अधिक रहा और देश से चीन को एक्सपोर्ट बढ़ने के पीछे यह एक बड़ा कारण है।