कोरोना वायरस (Coronavirus) की तेजी से फैलती दूसरी लहर और उस पर काबू पाने के लिये लगाये गये लॉकडाउन (Lockdown) के बीच आर्थिक गतिविधियों का पहिया धीमा पड़ने लगा है. इसके चलते चालू वित्त वर्ष के दौरान देश की सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की ग्रोथ रेट 9 फीसदी से नीचे रह सकती है. एक सर्वेक्षण में यह कहा गया है. केयर रेटिंग (Care Ratings) एजेंसी द्वारा किये गये इस सर्वेक्षण में 80 फीसदी जवाब देने वालों ने कहा कि कोविड- 19 की मौजूदा स्थिति के चलते गैर- जरूरी सामानों की मांग और निवेश पर गहरा प्रभाव पड़ सकता है.
उनका कहना है, संक्रमण के मामले रिकार्ड ऊंचाई पर पहुंच रहे हैं ऐसे में आर्थिक क्षेत्र में आ रहे सुधार की गति धीमी पड़ने लगी है. जवाब देने वाले प्रत्येक 10 में से करीब करीब सात लोगों को उम्मीद है कि वित्त वर्ष 2021- 22 में जीडीपी ग्रोथ 9 फीसदी से नीचे रह सकती है.
मई अंत तक रह सकता है लॉकडाउन
सर्वेक्षण के मुताबिक ज्यादातर लोगों का यही मानना है कि विभिन्न राज्य सरकारों ने जो लॉकडाउन लगाया है वह मई अंत तक बना रहेगा. कुल मिलाकर सर्वेक्षण में भाग लेने वाले 54 फीसदी लोगों का मानना है कि देश में कोविड- 19 की मौजूदा स्थिति का लॉकडाउन ही निदान है. हालांकि, तीन- चौथाई से कुछ अधिक का यह भी मानना है कि वर्तमान लॉकडाउन पिछले साल की तरह कड़ा लॉकडाउन नहीं है.
GDP ग्रोथ घटकर रह सकती है 9.8 फीसदी
एक अन्य एजेंसी क्रिसिल (Crisil) ने कहा कि भारत की जीडीपी ग्रोथ रेट सामान्य स्थिति में घटकर 9.8 फीसदी रह सकती है. यह तब होगा जब कोरोना वायरस की दूसरी लहर मई में अपने चरम पर पहुंचकर नीचे आ जाती है. लेकिन यदि यह जून अंत तक जारी रहती है तो तब आर्थिक वृद्धि की गति और कम होकर 8.2 फीसदी रह जायेगी.