मुंबई. बाजार नियामक सेबी ने देश के इंटरनैशनल फाइनैंशियल सर्विसेज सेंटर (आईएफएससी) गिफ्ट सिटी में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों के कोष में प्रवासी भारतीयों और ओवरसीज सिटीजन्स के 100 फीसदी योगदान की अनुमति दी है। हालांकि इस माध्यम से निवेश करने को लेकर प्रवासी भारतीयों ने कोई खास सक्रियता नहीं दिखाई है।
विशेषज्ञों ने कहा कि एनआरआई निवेशकों वाले कुछ एफपीआई मॉरीशस और सिंगापुर से भारत आने पर विचार कर रहे हैं. गिफ्ट सिटी अथॉरिटी प्रक्रिया को और आसान बनाने पर भी विचार किया जा कर रहा है।
देश के इंटरनैशनल फाइनैंशियल सर्विसेज गिफ्ट सिटी में फंड को बढ़ावा देने के लिए नियामक ने इस माध्यम की अनुमति दी है। साथ ही विदेश में रह रहे भारतीयों से वास्तविक रकम आकर्षित करने की भी मंशा है। हालांकि नियमों के तहत सभी प्रवासी भारतीयों/ओसीआई के लिए स्थायी खाता संख्या (पैन) के साथ-साथ एफपीआई में अपने आर्थिक हितों के बारे में जानकारी देना अनिवार्य है।
हालांकि उद्योग के प्रतिभागियों ने कहा कि प्रवासी भारतीयों और निवेशकों की तरफ से कुछ दिलचस्पी नजर आई है लेकिन कुछ लोग पैन और केवाईसी विवरण साझा करने में झिझक रहे हैं। इस घटनाक्रम से वाकिफ एक कस्टोडियन ने कहा कि कुछ निश्चित संभावित निवेशकों का मानना है कि इस मार्ग के तहत उन्हें काफी जांच-परख से गुजरना होगा।
गिफ्ट सिटी के एकीकृत नियामक इंटरनैशनल फाइनैंशियल सर्विसेज सेंटर्स अथॉरिटी (आईएफएससीए) के एक अधिकारी ने कहा कि उन निवेशकों के लिए नियामक ने अलग फॉर्म उपलब्ध कराया है जो अपने पैन की जानकारी साझा नहीं करना चाहते लेकिन पहचान से जुड़ी अन्य जानकारी मसलन सोशल सिक्योरिटी नंबर देना आवश्यक है।
डीएसके लीगल के पार्टनर सौरभ तिवारी ने कहा कि आईएफएससीए में पंजीकृत एफपीआई में एनआरआई के लिए 100 फीसदी निवेश की छूट देना काफी अहम पहल है और निश्चित तौर पर इससे निवेश आकर्षित होने की उम्मीद है। हालांकि इस छूट पर वांछित प्रतिक्रिया में थोड़ा समय लग सकता है, पर जरूरी यह है कि उचित सुरक्षा को नजरअंदाज नहीं किया जाए।