बीएसई 100 कंपनियों के अनुसंधान और विकास (R&D) खर्च में लगातार इजाफा हुआ है। वित्त वर्ष 20 में यह राजस्व का 0.89 प्रतिशत था और वित्त वर्ष 24 में बढ़कर 1.32 प्रतिशत हो गया है, जो इस बीच की अवधि में औसतन करीब एक प्रतिशत रहा है।ब्लूमबर्ग द्वारा संकलित आंकड़ों और कंपनी की वार्षिक रिपोर्ट से यह जानकारी मिली है। इसके साथ ही इन कंपनियों ने इन पांच वर्षों के दौरान अपना आरऐंडडी खर्च कुल मिलाकर दोगुना से भी ज्यादा यानी 25,041 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 63,072 करोड़ रुपये कर दिया।
हालांकि यह नवाचार की प्राथमिकता को दर्शाता है, लेकिन कॉरपोरेट आऐंडडी निवेश अपेक्षाकृत परंपरागत बना हुआ है। विशेषज्ञों का कहना है कि केवल कुछ कंपनियों ने ही अपने आरऐंडडी खर्च में बड़ा इजाफा किया है, जो इस बता का संकेत है कि भारत कंपनी जगत को नवाचार के अपने प्रयासों को बढ़ाने के लिए अब भी लंबी सफर तय करना है। वित्त वर्ष 24 में राजस्व के प्रतिशत के रूप में आरऐंडडी खर्च करने वाली कंपनियों में हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स, डॉ रेड्डीज लैबोरेटरीज और ल्यूपिन प्रमुख रूप से शामिल हैं।
सार्वजनिक क्षेत्र की रक्षा उपकण विनिर्माता कंपनी हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स ने आरऐंडडी में 2,826.24 करोड़ रुपये आवंटित किए, जो सालाना आधार पर 13.3 प्रतिशत अधिक है। यह इसके 30,381 करोड़ रुपये राजस्व का 9.3 प्रतिशत है। प्रमुख उपलब्धियों में बुनियादी प्रशिक्षक विमान का स्वदेशी डिजाइन और हल्के लड़ाकू विमान नौसेना प्रशिक्षक प्रोटोटाइप की पहली उड़ान शामिल है।
डॉ रेड्डीज लैबोरेटरीज ने पिछले वित्त वर्ष के दौरान आरऐंडडी में 2,113 करोड़ रुपये का निवेश किया, जो सालाना आधार पर 21 प्रतिशत बढ़कर इसके 28,011 करोड़ रुपये के निवेश का 7.5 प्रतिशत है। फार्मा कंपनी ने जटिल जेनरिक, बायोसिमिलर और एआई संचालित दवा विकास पर ध्यान केंद्रित किया और माइग्रेन के लिए नेरीवियो और खराब आंत्र सिंड्रोम के लिए डेलीब्लूम आईबीएस जैसे डिजिटल स्वास्थ्य समाधान पेश किए। कंपनी ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट में यह जानकारी दी है।
फार्मा क्षेत्र की अन्य प्रमुख कंपनी ल्यूपिन का आरऐंडडी खर्च सालाना आधार पर 17 प्रतिशत बढ़कर 1,484 करोड़ रपये हो गया, जो इसके 20,011 करोड़ रुपये के राजस्व का 7.4 प्रतिशत है। इसकी वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार कंपनी एआई के जरिये दवा की खोज तेज कर है और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में अपने बायोसिमिलर पोर्टफोलियो का विस्तार कर रही है।
मैकिन्से के वरिष्ठ साझेदार शिवांशु गुप्ता ने कहा कि जेनेरिक के कमोडिटाइज्ड होने की वजह फार्मास्युटिकल क्षेत्र का विशेष दवाओं की दिशा में बढ़ने के लिए काफी ज्यादा आरऐंडडी निवेश की जरूरत पड़ेगी। स्वास्थ्य देखभाल और मेडटेक क्षेत्र हालांकि छोटे हैं, लेकिन उम्मीद की जा रही है कि इनमें आरऐंडडी की गतिविधि में वृद्धि देखने को मिलेगी, खास तौर इसलिए क्योंकि मझोले और छोटे शहरों में चिकित्सा प्रौद्योगिकियों का इस्तेमाल बढ़ रहा है।
गुप्ता ने कहा कि स्थानीय आरऐंडडी इन प्रयासों को लाभदायक रूप से बढ़ाने की कुंजी होगा, क्योंकि संभवत: वैश्विक प्रमुख कंपनियां इन बाजारों में कम सक्रिय रहेंगी। हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स, डॉ रेड्डीज लैबोरेटरीज और ल्यूपिन से ईमेल पर किए गए सवालों का कोई जवाब नहीं मिला। वित्त वर्ष 24 में कुल मिलाकर टाटा मोटर्स, रिलायंस इंडस्ट्रीज और हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स खर्च करने वाली तीन प्रमुख कंपनियों के रूप में उभरीं। वाहन क्षेत्र की दिग्गज कंपनी टाटा मोटर्स का आरऐंडडी खर्च सालाना आधार पर 45 प्रतिशत बढ़कर 29,398 करोड़ रुपये हो गया, जो इसके 4,37,928 करोड़ रुपये के राजस्व का 6.7 प्रतिशत है।