कर्ज में पूरी तरह डूबे हुए अनिल अंबानी अब नए सिरे से कारोबार की शुरुआत करने जा रहे हैं. इसके लिए उन्होंने प्लान भी बना लिया है.
अनिल अंबानी ने अपने समूह के समूचे कर्ज को चुका कर नए सिरे से कारोबार शुरू करने का प्लान बनाया है. समूह ने कई कंपनियों की हिस्सेदारी, प्रॉपर्टी आदि बेचकर पूरा कर्ज चुकाने का मन बनाया है. अनिल अंबानी समूह की कंपनी रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर (रिलायंस इंफ्रा) ने कहा है कि उसने कर्ज देने वाले सभी 16 बैंकों-संस्थाओं से इसके लिए एक समझौता किया है.
करीब 94 हजार करोड़ का कर्ज
अनिल अंबानी ने पिछले महीने कहा था कि उनके समूह ने पिछले 14 महीने में तमाम प्रॉपर्टी बेचकर करीब 35000 करोड़ रुपये का कर्ज चुकाया है. लेकिन समूह पर अब भी करीब 93900 करोड़ रुपये का कर्ज है. यह रिलायंस कम्युनिकेशन के कर्ज के अलावा है जिसे हाल में दिवालिया प्रक्रिया में शामिल कर लिया गया है. इस इंटर क्रेडिटर एग्रीमेंट (ICA) के मुताबिक समूह की कंपनियों की एसेट की बिक्री की प्रक्रिया तेज की जाएगी.
रिलायंस इंफ्रा 2020 तक पूरी तरह से कर्ज मुक्त होना चाहती है. बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज को दी गई जानकारी में कंपनी ने बताया है, ‘रिजर्व बैंक के 7 जून, 2019 के सर्कुलर के मुताबिक रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर ने कर्ज के समाधान के लिए अपने 100 फीसदी कर्जदाताओं से आईसीए किया है.’ ब्लूमबर्ग के अनुसार, समूह पर कुल 93900 करोड़ रुपये का कर्ज है. रिलायंस नवल ऐंड इंजीनियरिंग के ऊपर 7,000 करोड़ रुपये का कर्ज है. रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर पर करीब 17800 करोड़ रुपये का कर्ज है. रिलायंस कैपिटल पर 38900 करोड़ रुपये का कर्ज है. रिलायंस पावर पर 30200 करोड़ रुपये का कर्ज है.
ये है उनका कर्ज चुकाने का प्लान A
रिजर्व बैंक के सर्कुलर के मुताबिक रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर की कर्ज समाधान योजना को 180 दिनों के भीतर लागू करना है. कंपनी ने भरोसा जताया है कि वह इसे समय सीमा के भीतर पूरा कर लेगी. कंपनी ने कहा है कि इसके लिए दिल्ली-आगरा टोल रोड कारोबार को 3,600 करोड़ रुपये में बेचा जाएगा. इस अकेली बिक्री से रिलायंस इन्फ्रा के कर्ज में करीब 25 फीसदी की कमी आएगी. कुल नौ सड़क परियोजनाओं का कारोबार बेचकर रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर कुल 9000 करोड़ रुपये जुटा सकती है.
इसके अलावा अनिल धीरूभाई अंबानी समूह (ADAG) अपने तीन विशाल मुख्यालयों को भी बेचेगा. इनमें मुंबई के उपनगरीय इलाके में स्थित रिलायंस सेंटर भी शामिल है. एक अनुमान के अनुसार साउथ मुंबई के बलार्ड एस्टेट ऑफिस और सांताक्रूज के करीब 70 हजार वर्ग फुट के रिलायंस सेंटर को बेचने से समूह को 1500 से 2000 करोड़ रुपये मिल सकते हैं. रिलायंस कैपिटल की कंपनी रिलायंस जनरल इंश्योरेंस की 100 फीसदी हिस्सेदारी बेचकर 5000 करोड़ रुपये हासिल किए जा सकेंगे.
इसी समूह की कंपनी रिलायंस निप्पोन लाइफ एसेट मैनेजमेंट की बिक्री से 4500 करोड़ रुपये जुटाए जा सकेंगे. समूह की कंपनी प्राइम फोकस के एसेट की बिक्री से 1000 करोड़ रुपये मिलेंगे. रिलायंस कैपिटल के प्राइवेट इक्विटी और रियल एस्टेट बिक्री से 1000 करोड़ रुपये जुटाए जा सकेंगे. रिलायंस कैपिटल के रेडियो कारोबार की बिक्री से 1200 करोड़ रुपये मिलेंगे.