नई दिल्ली। एक साल पहले लांच हुई इंडिया पोस्ट बैंक की खस्ता हाल हो गई है। आलम ये है कि कंपनी के पास अपने कर्मचारियों को वेतन देने के पैसे नहीं बच रहे है। बताया जा रहा है कि कारोबार में सुस्ती के चलते कंपनी का हाल हो रहा है। वहीं डाक विभाग ने आरबीआई से अनुमति मांगी है कि इसे स्मॉल फाइनेंस बैंक में बदला जाए।

इसलिए आ रही है दिक्कतें

डाक विभाग की माने तो पेमेंट बैंक में एक लाख रुपये से ज्यादा की रकम जमा नहीं की जा सकती है। इसके अलावा बैंको को लोन देने का भी अधिकार नहीं है। ऐसे में उम्मीद मुताबिक बैंक को कमाई नहीं हो रही है। हांलाकि अब बैंक ने उम्मीद जताई है कि केन्द्रीय बैंक अगले साल तक इसे स्मॉल फाइनेंस बैंक में बदलने की अनुमति दे सकता है।

एक हजार करोड़ रुपये किए गए खर्च

टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार पेमेंट बैंक को शुरू करने के लिए सिर्फ तकनीक के लिए एक हजार करोड़ रुपये का खर्च हुआ था। जिसमें बैंक का कोर बैंकिंग सिस्टम और अन्य तकनीकें शामिल हैं। साथ ही कर्मचारियों के वेतन और अन्य भत्तों पर 250 करोड़ रुपये खर्च किए गए थे। इधर, इंडिया पोस्ट द्वारा पेमेंट बैंक में नई भर्तियों पर भी रोक लगा दी गई है। विभाग ने उम्मीद जताई है कि सरकार की तरफ से इसमें अलग से पूंजी लगाई जाएगी, ताकि कंपनी के खर्च जारी रह सके।

पूर्व गर्वनर राजन ने की थी शुरुआत

पूर्व गर्वनर रघुराम राजन ने दूरदराज के क्षेत्रों में भी लोगों को आसानी से बैंकिंग सेवाएं उपलब्ध कराने के मकसद से इंडिया पोस्ट बैंक पेमेंट बैंक की शुरूआत की थी। इन बैंको को लोन देने का अधिकार नही हैं, साथ ही इसमें एक लाख रुपए से अधिक जमा नहीं किए जा सकते हैं। शुरुआत में 11 कंपनियों को पेमेंट बैंक शुरू करने के लिए लायसेंस दिए गए थे, जिसमें से पांच ने लाइसेंस को वापस कर दिया था। इंडिया पोस्ट के एक अधिकारी का कहना है कि छोटे ट्रांजेक्शन के कारण इसका किसी तरह से फायदा नहीं मिल रहा है। लोग बड़े बिलों का भुगतान भी नहीं कर सकते हैं। ऐसे में ये मॉडल सही से काम नहीं कर पा रहा है।

इन बैंकों को स्मॉल फाइनेंस बैंक में बदले जाने से बैंक किसी भी किसान, छोटे उद्योगों और अन्य असंगठित क्षेत्रों को भी लोन दे सकेगा। ये बैंक 650 शाखाओं के साथ लॉन्च किया गया था। साथ ही डाकघरों में 3250 एक्सेस प्वाइंट में बनाए गए थे। इसके अलावा डाकियों को भी बैंकिंग सेवाएं देने का प्रशिक्षण दिया गया था।