नई दिल्ली। आर्थिक संकट का सामना कर रही बीएसएनएल और एमटीएनएल को उबारने के लिए मोदी सरकार जल्द ही बड़ा उठाने जा रही है। खबरों की माने तो सरकार दोनों कंपनियों को करीब 14 हजार करोड़ रुपए देने जा रही है। जिसे कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है। इस रकम में से 10 हजार करोड़ रुपये बीएसएनएल और 4 हजार करोड़ रुपये एमटीएनएल को दिए जाएंगे। बताया जा रहा है कि कर्मचारियों को वीआरएस देने के लिए इस राशि का उपयोग होगा।
दोनों कंपनियों का होगा विलय
भारत संचार निगम लिमिटेड (बीएसएनएल) और महानगर टेलीफोन निगम लिमिटेड (एमटीएनएल) के रिवाइवल प्लान को भी कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है। जिसके तहत दोनों कंपनियों का विलय किया जाएगा। केंद्रीय दूरसंचार मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने बताया कि दोनो टेलीकॉम कंपनियां को न तो बंद होगी, ना ही विनिवेश होगा और ना ही इसे किसी तीसरे पक्ष को चलाने के लिए दिया जाएगा।
ये है रिवाइवल प्लान
प्लान के मुताबिक प्लान के मुताबिक एमटीएनएल का बीएसएनएल में विलय किया जाएगा। बीएसएनएल के कर्मचारियों के लिए वीआरएस योजना लागू होगी। साथ ही बीएसएनएल के रिवाइवल के लिए 15 हजार करोड़ रुपये के सॉवरेन बॉन्ड लाया जाएगा और 38 हजार करोड़ रुपये की संपत्तियों का विक्रय होगा। विलय प्रक्रिया पूर्ण होने तक एमटीएनएल, बीएसएनएल की सब्सिडियरी रहेगी। इसके अलावा बीएसएनएल-एमटीएनएल को 4जी स्पेक्ट्रम भी दिया जाएगा।
केन्द्र सरकार ने फैसला लिया है कि दोनों कंपनियों की संपत्तियों को बेचने या फिर किराये पर देने के लिए एक संयुक्त कमेटी गठित होगी। जिसमें बीएसएनएल, दूरसंचार विभाग और विनिवेश विभाग के अधिकारी शामिल रहेंगे। बता दे कि बीएसएनएल को फिलहाल 14 हजार करोड़ रुपए चुकाना है, वहीं वित्त वर्ष 2017-18 में उसे 31287 करोड़ का नुकसान झेलना पड़ा था। कंपनी में फिलहाल 1.76 लाख कर्मचारी कार्य कर रहे हैं। वीआरएस देने के बाद कर्मचारियों की संख्या अगले पांच सालों में घटकर 75 हजार पर पंहुच जाएगी।
एमटीएनएल पर 19 हजार करोड़ की उधारी
एमटीएनएल में फिलहाल 22 हजार कर्मचारी कार्यरत हैं। कंपनी पर 19 हजार करोड़ की देनदारी है। इसकी 90 फीसदी आय कर्मचारियों को वेतन देने में खर्च होती है। अगले 6 साल में कंपनी के करीब 16 हजार कर्मचारी सेवानिवृत्त हो जाएंगे।