मालूम हो भारत में सात करोड़ से अधिक छोटे व्यापारी रीटेल व्यापार का संचालन करते हैं, जिससे देश में करीब 15 लाख करोड़ का कारोबार होता है। वहीं इस क्षेत्र के जरिए लगभग 40 करोड़ लोगों को रोजगार मिलता है।

नई दिल्ली। व्यापारी संगठन सीएआईटी ने देशभर में ‘ई-कॉमर्स कंपनियों के खिलाफ मोर्चा खोलने की तैयारी कर ली है। जिसके चलते संघ देश भर में 13 नवंबर से आंदोलन शुरू करेगा l व्यापारी संघ का कहना है कि ‘ई-कॉमर्स कंपनियां देश में ऑनलाइन शॉपिंग के जरिए मोनोपाली का व्यापर करना चाहती है और जानबूझकर बहुत कम दाम पर सामान बेचने के लिए तरह तरह के लुभावने ऑफर लाती रही हैं, इस वजह से  रीटेल बाजार के व्यापारियों का माहौल खराब कर रही हैं, संघ ने कहा, ‘ये कंपनियां कोई व्यापार नहीं कर रही हैं बल्कि अपने निजी गतिविधि या उद्यम पूंजीपति निवेशकों के इशारों पर एक मूल्यांकन के खेल में लिप्त हैं। इससे देश में व्यापार कर रहे 7 करोड़ व्यापारियों को बहुत नुकसान हो रहा है. इस कारण से उनकी रोजी रोटी पर भी संकट खड़ा हो गया है।‘

बताया जा रहा है कि इस बार कंज्यूमर एसोसिएशन, मोबाइल मैन्युफैक्चर एसोसिएशन, हॉकर्स एसोसिएशन और ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन, किसान और सेल्फ हेल्प ग्रुप के लोगों द्वारा भी व्यापारियों का समर्थन किया जाएगा और वे भी सड़क पर उतरेंगे। बता दे कि इससे पहले व्यापारी संघ के प्रतिनिधियों ने वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के साथ इस मामले पर कई बैठक की है।

कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बी.सी.भरतिया और राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने बताया, ‘ये राष्ट्रव्यापी आंदोलन 13 नवंबर, 2019 से शुरू होगा और 10 जनवरी, 2020 तक जारी रहेगा। ऑल इंडिया मोबाइल रिटेलर्स एसोसिएशन, अल इंडिया कंज्यूमर प्रोडक्ट डिस्ट्रीब्यूटर्स फेडरेशन, फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया एल्युमिनियम यूटेंसिल्स मैन्युफैक्चरर्स, ऑल इंडिया एसोसिएशन ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स मर्चेंट्स एसोसिएशन, टॉयज एसोसिएशन ऑफ इंडिया, ड्रग डीलर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया, फेडरेशन ऑफ इलेक्ट्रिकल गुड्स एंड अप्लायंस एसोसिएशन, फेडरेशन ऑफ हार्डवेयर मैन्युफैक्चरर्स एंड ट्रेडर्स एसोसिएशन सहित देश के 40 हजार व्यापारी संगठन 27 राज्यों में इस आंदोलन में शामिल होंगे।’

वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने कहा है कि किसी भी कंपनी को व्यापार या विदेशी निवेश संबंधित कानून को तोड़ने नहीं दिया जाएगा। लेकिन व्यापारियों ने इस पर भी असंतोष जाहिर किया है। साथ ही व्यापारी संघ इस मामले में पीएम मोदी के हस्तक्षेप की मांग की है।