नई दिल्ली:  ये जो आंकड़े आए सामने आये हैं उससे ये तो साबित हो गया है कि भारत की आर्थिक स्थति ठीक नही है l हर सेक्टर पर रिजल्ट शून्य हैं यानी आप भले ही खनन की बात करें या फिर मैन्युफैक्चरिंग की इलेक्ट्रिसिटी की ,कंस्ट्रक्शन ओर ट्रेड सर्विस की सभी दूर रिजल्ट है वह गिरावट वाला है । अब कंस्ट्रक्शन की बात लें पिछली तिमाही में यह 5.7 था पर अब घटकर यह 3.3 रह गया याने 2 पॉइंट 4 का अंतर आ गया है । इसका सीधा सीधा असर होगा काम करने वाले मजदूरों पर और सीमेंट रेती सरिया सप्लाई करने वाले उद्योगों पर क्योंकि कंस्ट्रक्शन होगा ही नहीं तो फिर मजदूर को काम कैसे मिलेगा रेती सीमेंट सरिया कैसे बिकेंगे । मैन्युफैक्चरिंग की हालत खराब हो गई है पिछली तिमाही में जीरो पॉइंट 6 थी जो अब घटकर 1.0 प्रतिशत हो गई है । यानी सबसे निराशाजनक प्रदर्शन इसी में रहा है इस सेक्टर की ग्रोथ नेगेटिव में चली गई है जबकि पिछले साल इसी तिमाही में दर 6 .9% थी । अब मैन्युफैक्चरिंग की ग्रोथ नेगेटिव में जाने का अर्थ यह है कि कारखाना का माल बिक ही नहीं रहा है । कारखानों में माल बनकर तैयार है लेकिन खरीदार नहीं है इसलिए कारखानों से लोगों को हटाना पड़ रहा है।  ट्रेड सर्विस पिछली तिमाही में 7.1 प्रतिशत थी जो अब घटकर 4 पॉइंट 8 प्रतिशत हो गई ट्रेड सर्विस की ग्रोथ घटने का अर्थ यह है कि व्यापारी कामकाज में उठाव समाप्त हो गया है । यानी माहौल पूरी तरह से ठंडा है व्यापारिक गतिविधियां सुस्त पड़ी है और व्यापार के माध्यम से जो पैसा कमाया जाता था । उसमें भी खासी कमी आ गई पिछले दिनों ही यह बात चली थी कि पारले जी के बिस्किट नहीं बिक रहे हैं । अंडरवियर और बनियान तक की बिक्री घट गई है । टेक्सटाइल इंडस्ट्रीज संकट के दौर से गुजर रही है यह सब व्यापारिक गतिविधियां सुस्त पड़ने के संकेत हैं ।

अर्थशास्त्री बताते हैं कि हमारे देश में विकास दर यदि 1% कम होती है तो प्रति व्यक्ति की मासिक आय 105 घट जाती है और ग्रोथ रेट 5% से 4:30 पर आने का मतलब है प्रति व्यक्ति की आय हर महीने 53 घट गई अर्थ शास्त्री कहते हैं कि अभी भारत में 32 दैनिक खर्च करने वाले लोग गरीबी की रेखा से नीचे हैं । 10 साल में गरीबों की संख्या 20% घटी है अब प्रति व्यक्ति आय घटने के कारण यह प्रक्रिया धीमी हो गई है । अर्थशास्त्री कहते हैं कि आय घटने से माल का उठाव कम होगा कम होने से उत्पादन घटेगा । जिसके परिणाम स्वरूप उद्योगों में नई भर्तियों पर असर पड़ेगा यानी बेरोजगारी बढ़ने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता।