नई दिल्ली। राजस्व में कमी आने के कारण केन्द्र सरकार भारतीय रिजर्व बैंक से वित्तीय सहायता मांगने की तैयारी कर रही है। बता दे कि जीएसटी कलेक्शन में काई गिरावट के चलते सरकार जल्द ही यह कदम उठाएगी। यह मदद आरबीआई से अंतरिम लाभांश के तौर पर ली जाएगी। बता दे कि रिजव्र बैंक की आरे से हाल ही में सरकार को 1.76 लाख करोड़ रुपये का लाभांश देने की स्वीकृति दी थी। जिसमें से 1.48 लाख करोड़ रुपये चालू वित्त वर्ष के लिए दिए गए थे।

मीडिया रिपोट की माने तो केन्द्रीय बैंक ने पिछले वित्तीय वर्ष के दौरान 1.23 लाख करोड़ रुपये कमाए थे। आरबीआई को सर्वाधिक मुनाफा करेंसी ट्रेडिंग और सरकारी बॉन्ड से मिलता है। जिसा कुछ हिस्सा आरबीआई द्वारा अपने परिचालन और आपात निधि के तौर पर रखा जाता है। बाकी का लाभ सरकार के पास लाभांश के तौर पर चला जाता है।

क्यों पड़ी जरूरत?

खबरों के मुताबिक केन्द्र सरकार चाहती है कि रिजर्व बैंक उसकी लाभांश की मांग को समझे, क्योंकि इस वित्त वर्ष में विकास दर आर्थिक सुस्ती के कारण 11 साल के सबसे निचले स्तर यानी पांच फीसदी पर रह सकती है। सरकार पर फिलहाल अभी भी 35 से 45 हजार करोड़ रुपये बकाया है, जिसका भुगतान किया जाना है। ऐसे में आरबीआई द्वारा दी जाने वाली सहायता से सरकार को राहत मिल सकती है।

यदि रिजर्व बैंक द्वारा सरकार की बात मान ली जाती है तोयह लगातार तीसरा ऐसा वर्ष होगा, जब सरकार के पास अंतरिम लाभांश आएगा। बताया जा रहा है कि आरबीआई के कुछ अधिकारियों द्वारा सरकार को यह लाभांश देने का विरोध किया जा रहा है, माना जा रहा ह कि इससे आरबीआई को कई मोर्चों पर समस्या आ सकती है। हालांकि आरबीआई के बोर्ड में सरकार के सदस्य होने के सेऐसी मंजूरी मिलने में ज्यादा समय नहीं लगेगा।
राजस्व में आई 19.6 लाख करोड़ की कमी

बता दे कि सरकारी खजाने में चालू वित्त वर्ष में करीब 19.6 लाख करोड़ रुपये राजस्व की कमी आई है। आर्थिक मंदी के साथ ही कॉर्पोरेट टैक्स में कटौती का असर भी देखने को मिला है। जिससे राजस्व में करीब 34-37 फीसदी की कमी आई है।