नई दिल्ली। भारी भरकम घाटे से जूझ रही एयरटेल को 100 फीसदी एफडीआई की मंजूरी मिल गई है। देश की सबसे पुरानी निजी टेलीकॉम कंपनी एयरटेल अब विदेशी कंपनी बन सकती है। केंद्र सरकार ने भारती एयरटेल में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की सीमा को 49 फीसदी से बढ़ाकर 100 फीसदी करने को मंजूरी दे दी है। रिजर्व बैंक ने पहले ही कंपनी में विदेशी पोर्टफोलियो इनवेस्टर्स या विदेशी संस्थागत निवेशकों को चुकता पूंजी के 74 फीसदी तक निवेश करने की इजाजत दी थी। भारती एयरटेल का कारोबार फिलहाल दुनिया के 18 देशों में फैला हुआ है। 24 साल पहले 7 जुलाई 1995 को सुनील भारती मित्तल ने एयरटेल की सबसे पहले शुरुआत दिल्ली में की थी। एफडीआई मंजूदी के बाद एयरटेल को अपने बकाया भुगतान, नेटवर्क विस्तार और स्पेक्ट्रम नीलामी भुगतान के लिए विदेशी निवेशकों से रकम मिल सकेगी। गौरतलब है कि कुछ दिन पहले ही कंपनी ने वैधानिक बकाए के रूप में करीब 35,586 करोड़ रुपए का भुगतान किया है। इसमें टेलीनॉर और टाटा टेली के बकाए शामिल नहीं थे।