नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने सोमवार को अनिल अंबानी की अगुवाई वाले रिलायंस समूह की कंपनी रिलायंस कैपिटल लिमिटेड (RCL) के बोर्ड को भंग कर दिया है। रिजर्व बैंक जल्द ही कर्ज में डूबी नॉन-बैंकिंग फाइनेंस कंपनी (एनबीएफसी) के खिलाफ दिवालिएपन से जुड़ी कार्यवाही (बैंगक्रप्सी प्रोसिडिंग्स ) शुरू करेगा। पेमेंट डिफॉल्ट्स (भुगतान करने में नाकाम रहने) और गवर्नेंस से जुड़े गंभीर मुद्दों को देखते हुए यह कदम उठाया गया है। इस बीच, रिलायंस कैपिटल ने कहा है कि वह कंपनी के बोर्ड को भंग करने से जुड़े रिजर्व बैंक के फैसले का स्वागत करती है।

भारतीय रिजर्व बैंक ने एक बयान में कहा है कि बैंक ऑफ महाराष्ट्र के पूर्व एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर नागेश्वर राव वाई को नॉन-बैंकिंग फाइनेंस कंपनी का प्रशासक (एडमिनिस्ट्रेटर) नियुक्ति किया गया है। यह तीसरी सबसे बड़ी एनबीएफसी है, जिसके खिलाफ रिजर्व बैंक इनसॉल्वेंसी एंड बैंगक्रप्सी कोड (आईबीसी) के तहत दिवाला कार्यवाही शुरू करेगा।

इससे पहले, भारतीय रिजर्व बैंक ने श्रेई ग्रुप की एनबीएफसी और दीवान हाउसिंग फाइनेंस कॉरपोरेशन (डीएचएफएल) के खिलाफ इसी प्रकार की कार्यवाही शुरू की थी। डीएचएफएल के खिलाफ कार्यवाही पूरी हो चुकी है, जबकि श्रेई का मामला अभी लंबित है। रिजर्व बैंक ने कहा, ‘रिजर्व बैंक ने मेसर्स रिलायंस कैपिटल लिमिटेड के निदेशक मंडल को भंग कर दिया है। कंपनी के अपने कर्जदाताओं को कर्ज लौटाने में चूक और कंपनी संचालन से जुड़ी गंभीर चिंताओं को देखते हुए यह कदम उठाया गया। कंपनी का निदेशक मंडल इन मुद्दों का समाधान प्रभावी तरीके से नहीं कर पाया।’

बयान के अनुसार, ‘रिजर्व बैंक जल्द ही ऋण शोधन अक्षमता और दिवाला (वित्तीय सेवा प्रदाताओं की दिवाला और परिसमापन कार्यवाही और न्याय निर्णय प्राधिकरण को आवेदन) नियम, 2019 के तहत कंपनी को लेकर समाधान प्रक्रिया शुरू करेगा।’

रिजर्व बैंक राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी), मुंबई से भी ऋण शोधन समाधान पेशेवर के रूप में प्रशासक नियुक्त करने का आग्रह करेगा। रिलायंस कैपिटल ने सितंबर में सालाना आम बैठक में शेयरधारकों को सूचित किया था कि कंपनी के ऊपर एकीकृत रूप से 40,000 करोड़ रुपये का कर्ज है। कंपनी को चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में 1,156 करोड़ रुपये का एकीकृत नुकसान हुआ, जबकि आय 6,001 करोड़ रुपये रही थी। वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान कंपनी को 9,287 करोड़ रुपये का घाटा हुआ, जबकि कुल आय 19,308 करोड़ रुपये रही थी।