नई दिल्ली। नियंत्रक एवं महालेख परीक्षक (CAG) ने राज्यों के लिए एकीकृत (IGST) के हस्तांतरण की गलत प्रक्रिया अपनाने और आरक्षित कोषों में उपकर के कम हस्तांतरण को लेकर केंद्र सरकार की खिंचाई की है। इन कथित गलतियों की वजह से कारोबारी साल 2017-18 और 2018-19 के लिए घाटे के आंकड़े कम रहे।
माल और सेवाओं की अंतर-राज्यीय बिक्री पर लगाया जाने वाला एकीकृत माल और सेवा कर (IGST) केंद्र और राज्यों के बीच 50:50 के अनुपात में साझा किया जाता है। कैग ने केंद्र सरकार के खातों पर संसद में पेश की गयी अपनी रिपोर्ट में कहा कि 2018-19 में भारत के समेकित कोष (सीएफआई) में 13,944 करोड़ रुपये की राशि का आवंटन नहीं किया गया और उसे बरकरार रखा गया था। हालांकि, संशोधित आईजीएसटी अधिनियम अब आईजीएसटी के तदर्थ आवंटन के लिए एक प्रक्रिया प्रदान करता है।
रिपोर्ट के मुताबिक, ‘‘2017-18 और 2018-19 के लिए केंद्र के खातों की लेखापरीक्षा से राजस्व व्यय के गलत वर्गीकरण, राज्यों को आईजीएसटी के हस्तांतरण/विभाजन की एक गलत प्रक्रिया को अपनाने, आरक्षित कोषों के लिए उपकर का कम हस्तांतरण और रक्षा पेंशन से संबंधित संदिग्ध लेनदेन का समायोजन न करने का पता चला। इन सबका असर घाटे की गणना पर पड़ता है।”
सोमवार को लोकसभा में पेश की गयी रिपोर्ट में कहा गया कि अगर गणना में उपरोक्त बातों को शामिल किया जाता है, तो घाटे के आंकड़े बजट दस्तावेजों में दिए गए आंकड़ों से अधिक होंगे। इसके अलावा नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) और दूरसंचार मंत्रालयों के अंतर्गत आने वाली इकाइयों के खातों में कई अनियमितताओं को उजागर किया। इसमें एनआईसीएसआई द्वारा नियमों के उलट 890 करोड़ रुपये मूल्य के हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर की खरीद का मामला भी शामिल है।