-100 एयरक्राफ्ट खरीदने के लिए बोइंग, एयरबस से बातचीत
नई दिल्ली। जेट एयरवेज एक बार फिर उड़ान भरने की तैयारी कर रहा है। एयरलाइन कंपनी के नए मालिक 12 अरब डॉलर में करीब 100 नेरो बॉडी एयरक्राफ्ट खरीदने के लिए बोइंग और एयरबस SE के साथ बातचीत कर रहे हैं। जेट 2.0 को अगले साल जनवरी से मार्च के बीच शुरू किए जाने की योजना है। कर्ज में दबे होने के कारण जेट एयरवेज अप्रैल 2019 में ग्राउंडेड हो गई थी। इससे पहले एयरलाइन को साउथ एशियन नेशन की सबसे बड़ी प्राइवेट एयरलाइन का दर्जा हासिल था।
नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) के बैंकरप्सी रिजॉल्यूशन प्रोसेस में जेट एयरवेज के विनिंग बिडर्स कालरॉक कैपिटल और मुरारी लाल जालान की कंसोर्टियम थी। कंसोर्टियम के रिप्रेजेंटेटिव अंकित जालान ने न्यूज वेबसाइट ब्लूमबर्ग से कहा कि फ्लाइट को अगले साल पहले तीन महीनों में शुरू किए जाने का प्लान है। जालान एक दुबई बेस्ड इंडियन ओरिजिन बिजनेसमैन हैं। वहीं कालरॉक कैपिटल मैनेजमेंट लिमिटेड फाइनेंशियल एडवाइजरी और अल्टरनेटिव एसेट मैनेजमेंट के क्षेत्र में काम करने वाली लंदन बेस्ड ग्लोबल फर्म है। इसके फाउंडर फ्लोरियन फ्रेच हैं।
जेट एयरवेज के पास केवल 11 विमानों का बेड़ा : मुरारी लाल के भतीजे जालान ने इस सप्ताह की शुरुआत में कहा था कि ग्रुप अगले छह महीनों में एयरलाइन में इक्विटी और डेट के माध्यम से लगभग 1500 करोड़ रुपए (200 मिलियन डॉलर) का निवेश करेगा। जालान ने कहा, ‘जेट एयरवेज के पास 11 विमानों का बेड़ा बचा है, जिसमें बोइंग 737 और 777, साथ ही एयरबस A330 जेट शामिल हैं। लेकिन ये विमान पुराने हैं और उन्हें बेचकर ज्यादा फ्यूल एफिशिएंट विमानों के साथ बदलने की जरूरत है।’
12 अरब डॉलर से ज्यादा की डील : बोइंग 737 मैक्स जेट के सबसे लोकप्रिय मॉडल डील में 12 अरब डॉलर से ज्यादा का खर्च आ सकता है। हालांकि, बड़े ऑर्डर में छूट आम है।’ जालान ने कहा कि ‘प्लेन डील के ऑप्शन्स में खरीद और लीज दोनों शामिल हैं। हमारी योजना पांच साल में 100 से ज्यादा विमानों को अपने बेड़े में शामिल कर 100+ एयरलाइन बनने की है।’
क्यों बंद हुई थी जेट एयरवेज? : 1990 के दशक की शुरुआत में टिकटिंग एजेंट से एंटरप्रेन्योर बने नरेश गोयल ने जेट एयरवेज की शुरुआत की थी। उन्होंने जेट एयरवेज की शुरुआत कर लोगों को एयर इंडिया का अल्टरनेटिव दिया था। एक वक्त में जेट के पास कुल 120 प्लेन थे। ‘दि ज्वॉय ऑफ फ्लाइंग’ टैग लाइन के साथ ऑपरेशन करने वाली कंपनी जब पीक पर थी तो हर रोज 650 फ्लाइट्स का ऑपरेशन करती थी।
हालांकि जब कंपनी बंद हुई तो उसके पास केवल 16 प्लेन रह गए थे। मार्च 2019 तक कंपनी का घाटा 5,535.75 करोड़ रुपए का हो चुका था। भारी कर्ज के चलते 17 अप्रैल 2019 को कंपनी बंद हो गई।