नई दिल्ली। नए साल में आतिथ्य उद्योग का संघर्ष जारी रहेगा और इस दौरान उसे सरकार से मदद की दरकार भी रहेगी। गौरतलब है कि पिछले दो वर्षों से कोरोना वायरस महामारी के कारण यह क्षेत्र बेहद बुरे दौर से गुजर रहा है।
उद्योग को 2021 के अंत में उम्मीद की एक किरण दिखने लगी थी, लेकिन कोविड-19 के नए वेरिएंट ओमीक्रोन का प्रकोप बढ़ने के बाद दुनिया भर में यात्रा प्रतिबंध बढ़ने लगे हैं। अनुसूचित अंतरराष्ट्रीय उड़ानों का निलंबन 31 जनवरी 2022 तक बढ़ा दिया गया है।
उद्योग चाहता है कि सरकार सीमित अवधि के लिए आयकर लाभ देने के साथ ही घरेलू यात्रा को प्रोत्साहित करे ताकि आतिथ्य और पर्यटन क्षेत्र को मदद मिल सके।
उद्योग निकाय फेडरेशन ऑफ होटल एंड रेस्टोरेंट एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एफएचआरएआई) के अनुसार पहले ही संगठित क्षेत्र में लगभग 60,000 होटल और पांच लाख रेस्टोरेंट में 25 से 30 प्रतिशत बंद हो चुके हैं और यदि सरकार ने इस क्षेत्र को कोई प्रोत्साहन नहीं दिया तो अन्य 15 प्रतिशत भी ऐसा फैसला कर सकते हैं।
एफएचआरएआई के उपाध्यक्ष गुरबख्श सिंह कोहली ने कहा, ‘‘फिलहाल, हम पुनरुद्धार की बात नहीं कर रहे हैं, क्योंकि मुझे नहीं लगता कि हमें ऐसा करना चाहिए। पुनरुद्धार तब होता है, जब आप किसी नुकसान की भरपाई कर लें।’’
कोहली ने कहा, ‘‘इसलिए, पुनरुद्धार का सवाल ही नहीं है। पहले आपको जीवित रहने की जरूरत है… कुछ लोगों ने आकस्मिक और कार्यशील पूंजी संबंधी खर्च को पूरा करने के लिए विस्तार और वृद्धि के लिए रखे अपने धन का उपयोग किया है और अब नकदी खत्म हो रही है।’’
उन्होंने कहा कि जब धन नहीं बचेगा, तो वे कितने वक्त तक जीवित रह पाएंगे और इसलिए पहली प्राथमिकता यह होनी चाहिए कि उद्योग को और गिरावट से कैसे बचाया जाए।
इसी तरह के विचार व्यक्त करते हुए नेशनल रेस्टोरेंट एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एनआरएआई) के अध्यक्ष कबीर सूरी ने कहा, ‘‘हममें से ज्यादातर अभी भी खुद को बचाने की कोशिश कर रहे हैं। 60 प्रतिशत लोग अभी भी जीवित रहने की कोशिश कर रहे हैं और कोई भी नया व्यवधान केवल और दर्द देगा।’’
उन्होंने कहा कि भारत में 30 प्रतिशत रेस्टोरेंट स्थायी रूप से बंद हो गए हैं। भारत में संगठित और असंगठित, दोनों क्षेत्रों में लगभग सात लाख रेस्टोरेंट थे। रेस्टोरेंट बंद होने के कारण बड़ी संख्या में लोग बेरोजगार हुए हैं।