नई दिल्ली: डाउनलोड और डेली एक्टिव यूज़र्स की संख्या के मामले में भारत के नंबर 1 म्यूजिक स्ट्रीमिंग ऐप, विंक म्यूजिक ने आज भारत और विदेशों के इंडिपेंडेंट आर्टिस्ट्स के लिए भारत के सबसे बड़े म्यूजिक डिस्ट्रीब्यूशन इकोसिस्टम विंक स्टूडियो के शुभारम्भ की घोषणा की। स्टूडियो कलाकारों को अपना संगीत लॉन्च करने में सक्षम बनाएगा और कई प्लेटफॉर्म पर उनके म्यूजिक को मॉनेटाइज करने के लिए उनके साथ भागीदारी भी करेगा। विंक स्टूडियो एयरटेल के डिजिटल प्रोडक्ट पोर्टफोलियो का एक हिस्सा होगा जिसमें विंक, एयरटेल एक्सस्ट्रीम, एयरटेल ऐड्स, एयरटेल आईक्यू शामिल हैं।
विंक स्टूडियो भारत में म्यूजिक इकोसिस्टम को गति प्रदान करने की दिशा में एयरटेल का एक महत्वपूर्ण कदम है। स्टूडियो की योजना अगले एक वर्ष में इस मंच पर 5000 से अधिक इंडिपेंडेंट आर्टिस्ट्स को लॉन्च करने की है। यह इंडियन म्यूजिक इंडस्ट्री में सफलता और विफलता के बीच के अंतर का निर्धारण करने वाली तीन सबसे प्रमुख समस्याओं – डिस्कवरी, मॉनेटाइजेशन और एनालिटिक्स का समाधान प्रदान करते हुए उन प्रतिभाओं को सामने लाएगा जो अबतक अज्ञात हैं।
वर्तमान में इंडियन म्यूजिक इंडस्ट्री एक महत्वपूर्ण पड़ाव पर है। भारतीय संगीत प्रेमी औसतन 18 घंटे के वैश्विक औसत के मुकाबले संगीत सुनने में प्रति सप्ताह लगभग 21 घंटे व्यतीत करते हैं। भारत में किसी भी म्यूजिक प्लेटफॉर्म पर शीर्ष प्रदर्शन करने वाले गीतों में से लगभग 30% इंडिपेंडेंट आर्टिस्ट्स के हैं और इन इंडिपेंडेंट आर्टिस्ट्स द्वारा किया गया इस उद्योग का विकास लगभग रु 2000 करोड़ से 50 फीसदी बढ़कर 2025 तक रु 3000 करोड़ का हो जाएगा।
विंक स्टूडियो कैसे एक कलाकार की मदद करेगा
- डिस्कवरी – कलाकारों को अपने संगीत को विंक म्यूजिक ऐप के साथ-साथ अन्य संगीत प्लेटफार्मों पर रिलीज़ करने की क्षमता प्रदान करना। विंक ऐप पर, संगीत प्रेमी अपने पसंदीदा संगीतकारों के गीतों को सेव कर सकते हैं, डाउनलोड कर सकते हैं और उन्हें फॉलो भी कर सकते हैं।
- मॉनेटाइजेशन – एयरटेल के शक्तिशाली डिस्ट्रीब्यूशन क्षमता के सहयोग से, उभरते हुए कलाकरों को सीमित समय सीमा में रिकॉर्ड स्ट्रीमिंग व्यूज प्राप्त करने में मदद मिलती है। यह कलाकारो को प्रत्येक स्ट्रीम के साथ निरंतर कमाई की गारंटी देता है, जिससे उन्हें संगीत में अपना करियर बनाने में मदद मिलती है।
- ट्रांसपरेंसी एंड डेटा एनालिटिक्स – एयरटेल के व्यापक डेटा साइंस क्षमता की मदद से, कलाकार अब ऐसा संगीत बना सकते हैं, जो उनके प्रशंसकों को आकर्षित कर सके और उनके लिए लाभदायक हो।
एक प्लेटफॉर्म के रूप में विंक स्टूडियो और एयरटेल की बेजोड़ पहुंच की बदौलत इंडिपेंडेंट आर्टिस्ट्स के पास अपने दर्शकों से सीधे जुड़ने का दुर्लभ अवसर है। विंक ने ऐप पर स्थानीय प्रतिभाओं को उनकी पहचान दिलाने के लिए और रु 100 करोड़ का फंड बनाया है।
विंक स्टूडियो पर भारत, सिंगापुर और यूएस के 100 से अधिक कलाकारों को पहले ही प्रदर्शित किया जा चुका है। इनमें से कुछ कलाकार, जैसे कि पुणे के निषाद पाटकी, जो पेशे से एक प्रोफेसर हैं, ने संगीत को अपना पूरा समय समर्पित करने के लिए अपनी नौकरी छोड़ दी। मुंबई के प्रतीक गांधी (34 मिलियन स्ट्रीम्स), बेंगलुरु से गगन बडेरिया (17 मिलियन स्ट्रीम्स), हैदराबाद से हर्ष प्रवीण (20 मिलियन स्ट्रीम्स) और छोटे शहरों जैसे हल्द्वानी से अजय नागरकोटी और वापी से डी-शॉ कुछ प्रतिभाएं है, जिनकी औसतन स्ट्रीम्स एक मिलियन से ऊपर है।
विंक स्टूडियोज के लॉन्च पर टिप्पणी करते हुए, श्री आदर्श नायर, सीईओ – एयरटेल डिजिटल ने कहा, “संगीत के लिए क्रिएटर इकॉनमी अभी अपने प्रारम्भिक चरण में जरूर है, लेकिन महत्वपूर्ण वृद्धि दर्ज करने की ओर अग्रसर है। विंक स्टूडियो के साथ, हम एक ऐसे प्लेटफार्म का निर्माण कर रहे हैं जो महत्वाकांक्षी कलाकारों को अपने जुनून को आगे बढ़ाने के साथ आय अर्जित करने की सुविधा देगा। म्यूजिक स्ट्रीमिंग, मापदंडों को हासिल करने व 35 करोड़ से अधिक उपभोक्ताओं के साथ लंबे समय तक का संबंध, एयरटेल का यह अनुभव सुनिश्चित करेगा कि इस इंडस्ट्री के सभी भागीदारों को समान रूप से लाभ मिले। हम दुनिया भर से प्रतिभाओं को आकर्षित करना चाहते हैं और अगले एक वर्ष में इस मंच से 5000 कलाकारों को लांच करना चाहते हैं।”
पिछले कुछ वर्षों में खासतौर से क्षेत्रीय संगीत की मांग में वृद्धि हुई है, यहां तक कि बॉलीवुड और अंतर्राष्ट्रीय संगीत के लिए भी श्रोताओं का आकर्षण बना हुआ है। जैसे-जैसे स्मार्टफोन की पहुंच बढ़ती जा रही है, वैसे-वैसे क्षेत्रीय भाषा और बोलियों में प्रदर्शन करने वाले स्थानीय कलाकारों की मांग में भी वृद्धि होती जा रही है। विंक 15 भारतीय भाषाओं में संगीत उपलब्ध कराता है और अब ऐप पर स्ट्रीम होने वाले कुल संगीत में क्षेत्रीय गीतों का 30 फीसदी से अधिक का हिस्सा है। उड़िया, गुजराती, असमिया, मराठी, तेलुगू और भोजपुरी के गीतों में 150 फीसदी से अधिक की वृद्धि देखी गई है और यह गीत अपने गृह राज्यों के बाहर भी खासे लोकप्रिय हैं।