इंदौर. इंदौर के वरिष्ठ नेत्र विशेषज्ञ डॉ. ओ. पी. अग्रवाल ने लोगों, विशेषकर बच्चों से दिवाली के दौरान पटाखे जलाते समय सावधानी रखने का आग्रह किया है।

रोहित आई हॉस्पिटल के मेडिकल डायरेक्टर एवं वरिष्ठ नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. ओ. पी. अग्रवाल ने कहा कि दीवाली पर पटाखे फोड़ने, आतिशबाजी देखने का मजा पूरे साल के इन्तजार के बाद आता है, परन्तु असावधानियों के चलते कई सारी दुर्घटनाएं भी होती हैं, जो बचे हुए पूरे जीवन का मजा खराब कर देती हैं। मेरी सभी से प्रार्थना है कि पटाखों को चलाते वक्त सुरक्षा को आनंद से ऊपर रखना चाहिए।

ड्राई आई- कैटरेक्ट एवं लेसिक सर्जन डॉ. पलक अग्रवाल का कहना है कि दीवाली पर पटाखे चलाते हुए  हाथ और उंगली के बाद सबसे ज्यादा दुर्घटनाएं आँखों के साथ होती हैं। पटाखों में उपयोग किए जाने वाले बारूद और पटाखों के धुएं के कारण आंखों का लाल होना, जलन – चुभन जहां एक ओर आम बात है, वहीँ दूसरी तरफ पटाखों से निकलने वाले कण आंखों और पुतलियों को भी नुकसान पहुंचा सकते हैं जिसमें घाव, खून के थक्के बनना शामिल है।

रेटिना स्पेशलिस्ट डॉ. रोहित अग्रवाल के अनुसार पटाखों से डरने का कोई कारण नहीं है, यदि सावधानी से पटाखे जलाए जाएँ तो दुर्घटनाओं की संभावनाएं ना के बराबर होती हैं. बड़ों की मौजूदगी में पूरी सावधानी रखने के बावजूद भी यदि कोई हादसा हो जाता है तो सबसे पहले उसका आकलन करना जरूरी है, सामान्य मामलों में प्राथमिक उपचार घर पर ही दिया जा सकता है। पटाखों की इंज्यूरी खतरनाक श्रेणी में आती है। कभी कभी बाहर से देखने में हमें आँख सामान्य प्रतीत होती है परन्तु यदि मरीज की आँख की रौशनी सामान्य से कम हो गई है तो आँखों की जांच रेटिना विशेषज्ञ से कराना अनिवार्य हो जाता है क्योंकि परदे में आई सूजन को तुरंत उपचार की आवश्यकता होती है।

विशेषज्ञों का मानना है कि अधिकतर मामले सामान्य होते हैं, जिनमें प्राथमिक उपचार के लिए साफ पानी के छींटे मारकर आंख को अच्छी तरह से धोया जाना चाहिए। एक चौड़े मुंह के बाउल को पानी से भरकर आंख के करीब लाकर बार-बार पलकें झपकाना चाहिए, ऐसा करने से बाहरी कणों को पानी के साथ बहने का मौक़ा मिल जाता है और तुरंत राहत मिल सकती है।

जो बचे हुए मामले हैं जिनमें गंभीरता का अंदाजा सामान्य तौर पर नहीं लगाया जा सकता, ऐसे में फॉरेन पार्टिकल्स को हटाने और उचित इलाज़ के लिए विशेषज्ञ की सलाह से ही काम करना चाहिए।

रोहित आई केयर के नेत्र रोग विशेषज्ञों की टीम के अनुसार, आंखों को सुरक्षित रखने और किसी भी तरह की समस्या से बचाने के लिए सावधानियां बेहद जरुरी है।

दिवाली पर आँखों का ऐसे रखें खास खयाल

  • बच्चों के पटाखे फोड़ने के दौरान बड़ों की निगरानी जरूरी है।
  • पटाखे जलाते समय एक हाथ की दूरी बनाकर रखनी चाहिए।
  • पटाखों से बारूद या चिंगारी सीधा ऊपर की तरफ निकलती है, इसलिए पटाखों के ऊपर झुककर चलाने से आँख को बड़ा नुकसान हो सकता है।
  • रौशनी वाले पटाखे जैसे अनार या चकरी चलाते वक्त ज्यादा सावधानी रखने की जरूरत है, इनसे निकलने वाले कण और चिंगारी चेहरे और आँखों को नुकसान पहुँचा सकते हैं।
  • आसपास खड़े लोगों को देखते समय कम से कम 5 मीटर की दूरी बनाकर रखनी चाहिए।
  • आंखों को बचाने के लिए पटाखे चलाते समय चश्मा लगाना चाहिए।
  • खाली जगह देखकर ही पटाखे चलाने चाहिए।
  • कॉन्टैक्ट लेंस इस्तेमाल करने वालों को पटाखे जलाते वक्त साधारण चश्मा लगाना चाहिए। इससे आंखों में जलन नहीं होगी।

 

ये ना करें:  

  • दुर्घटना की संभावना रोकने के लिए अमानक पटाखों का उपयोग नहीं करना चाहिए।
  • हाथ में रखकर पटाखे कभी नहीं फोड़ने चाहिए।
  • जो पटाखा जलने के बाद बुझ गया हो उसे फिर से जलाने की कोशिश नहीं करनी चाहिए; यहाँ तक कि बुझे हुए पटाखे के पास जाने से पहले कुछ देर इंतज़ार करना चाहिए।
  • आंखों की पुतलियों को रगड़ें नहीं; इससे खून आने की संभावना है या चोट और खराब हो सकती है।
  • आंखों में फंसे किसी भी कण को हटाने के लिए कपडे, प्लास्टिक या धातु से बनी किसी भी चीज़ का इस्तेमाल ना करें।
  • बिना जानकारी वाले किसी भी आई ड्रॉप और ऑइंटमेंट का इस्तेमाल न करें इससे आंखों की जांच करना मुश्किल हो सकता है।
  • जब आँखों में धुआँ लगता है तो इससे आँखों में जलन या पानी आने लगता है और आँखों को मसलने की इच्छा होती है। पटाखों को छूने के बाद उसी हाथ से आंखों को न छुएं, इससे कणों के आंखों में जाने का खतरा रहता है ।
  • विशेषज्ञ सलाह के बिना ओटीसी और दर्द निवारक दवाएं ना लें।