इंदौर: आधुनिक जीवनशैली की परेशानियों से हर कोई बचना चाहता है, हर कोई चाहता हैं कि वह एक सेहतमंद जीवन जिए, लेकिन आज कल की भागदौड़ भरी जिंदगी में लोग अपनी सेहत पर ध्यान देना ही भूल जाते है, लेकिन इस बात को ध्यान में रखते हुए इंदौर के सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल में रविवार, 27 अप्रैल, 2025 शाम 5 बजे एक विशेष व्याख्यान का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य लोगों को आधुनिक जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों के खतरे से अवगत कराना और उन्हें लंबी उम्र व बेहतर स्वास्थ्य के लिए जरूरी बदलावों की जानकारी देना था।
इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि एमजीएम मेडिकल कॉलेज, इंदौर के डीन डॉ. अरविंद घनघोरिया रहे। कार्यक्रम में प्रसिद्ध कैंसर सर्जन, ऑन्कोलॉजिस्ट, मैराथन धावक और लाइफस्टाइल कोच डॉ. अरुण अग्रवाल ने “लाइव लॉन्ग, लाइव स्ट्रॉन्ग: द साइंस ऑफ लाइफस्टाइल, फिटनेस एंड फास्टिंग” विषय पर अपना व्याख्यान प्रस्तुत किया।
इस कार्यक्रम में प्रसिद्ध कैंसर सर्जन, ऑन्कोलॉजिस्ट, मैराथन धावक और लाइफस्टाइल कोच डॉ. अरुण अग्रवाल ने बताया कि, “हम सब चाहते हैं कि हमारी ज़िंदगी लंबी और स्वस्थ हो, लेकिन क्या हम वही खा रहे हैं, जो हमारे शरीर को तंदुरुस्त रखे? हम अक्सर ऐसा सोचते हैं कि घी और तेल मोटापा बढ़ाते हैं, लेकिन असली समस्या चीनी और कार्बोहाइड्रेट से है, जिनकी अधिकता से 95% लोग हाई ग्लूकोज और इंसुलिन की समस्या से जूझ रहे हैं। इंसुलिन, जो एक स्टोरेज हार्मोन है जिसके बढ़ने से शरीर में फैट जमा होता है और गंभीर बीमारियों का कारण बनता है। आजकल के युवा फास्ट फूड और खराब खानपान की आदतों की ओर बढ़ रहे हैं, जिससे वे अनजाने में मोटापा, फैटी लिवर और अन्य बीमारियों के शिकार हो रहे हैं। इसलिए, हमें अपनी डाइट में फल, हरी सब्जियां और अच्छे फैट्स शामिल करना चाहिए और प्रोसेस्ड फूड से बचना चाहिए। साथ ही एक अच्छी जीवनशैली के लिए नियमित रूप से फुल बॉडी चेकअप कराना और 18-45 साल की उम्र में जरूरी टीकाकरण कराना आवश्यक है। कई बार लोग नई बीमारी के डर से चेकअप ही नहीं कराते जिसके परिणामस्वरूप उनकी छोटी सी बीमारी बड़ी बीमारी में बदल जाती है इसलिए समय पर चेकअप करवा लेना चाहिए ताकि बीमारियों का समय रहते पता चल सके। एक स्वस्थ जीवनशैली के लिए एक्सरसाइज और सही आहार बेहद जरूरी है।
फास्टिंग यानि उपवास पर ज़ोर देते हुए डॉ अरुण ने कहा कि, फास्टिंग शरीर को विश्राम देने का एक प्रभावी तरीका है, लेकिन आज कल सभी उपवास को जैसे भूल ही गए है, फास्टिंग एक ऐसी प्रक्रिया है जो अतिरिक्त फैट जलाने और इंसुलिन स्तर को नियंत्रित करने में मदद करता है। इससे शरीर की सेल्स रिपेयर होती हैं और लंबी उम्र के रास्ते खुलते हैं। ध्यान रहे कि 18 साल से कम उम्र के बच्चों को फास्टिंग करने की कोई जरूरत नहीं होती है, साथ ही प्रेगनेंट ओर ब्रेस्टफीडिंग वूमेंस को भी फास्टिंग नहीं करनी चाहिए। फास्टिंग का फायदा यह है कि जब हम भोजन के बीच का समय बढ़ाते हैं, तो मानसिक और शारीरिक रूप से भी हम बेहतर महसूस करते हैं। धीरे-धीरे इसे अपनी दिनचर्या में शामिल करें और संतुलित आहार का ध्यान रखें। उम्मीद है कि आज जो भी बाते हम सभी ने सुनी, वो आपके जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने में मदद करेंगी। धन्यवाद!”
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि एमजीएम मेडिकल कॉलेज, इंदौर के डीन डॉ. अरविंद घनघोरिया ने बताया कि, ” स्वस्थ जीवनशैली का मतलब सिर्फ सही आहार और व्यायाम नहीं है, बल्कि यह हमारी मानसिक स्थिति और तनावमुक्त जीवन जीने की कला भी है। जब हम अपने शरीर और मन दोनों का ध्यान रखते हैं, तो जीवन को सचमुच स्वस्थ बना सकते हैं। आजकल हम सभी तनाव और भागदौड़ की ज़िंदगी जी रहे हैं, जिसमें हम अपने स्वास्थ्य को नजरअंदाज कर देते हैं। इसलिए, जीवन में संतुलन बनाए रखना, जैसे सही आहार, पर्याप्त नींद, और मानसिक शांति, जरूरी है। हमें यह समझना होगा कि शारीरिक स्वास्थ्य और मानसिक स्वास्थ्य दोनों का सही तालमेल ही हमें एक स्वस्थ जीवन दे सकता है। नियमित व्यायाम, सही आहार और मानसिक आराम को अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाकर हम लंबे समय तक स्वस्थ रह सकते हैं।”

 

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