रियल एस्टेट डेवलपरों की शीर्ष संस्था क्रेडाई (Credai) ने कहा कि स्टील और सीमेंट के दामों में बढ़ोतरी से आने वाले समय में घर की कीमत बढ़ सकती है. क्रेडाई ने कहा, सीमेंट और स्टील के महंगे होने के चलते निर्माण लागत में 10-20 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. इस स्थिति के चलते मध्यम से लंबी अवधि में आवास की कीमतों में बढ़ोतरी की संभावना है.
क्रेडाई के चेयरमेन सतीश मगर ने वर्चुअल माध्यम से संवाददाता सम्मेलन में कहा कि कोविड-19 (COVID-19) की दूसरी लहर के कारण अप्रैल से आवासों की बिक्री में भारी कमी दर्ज की गई है. उन्होंने हालांकि, पिछली तिमाही की तुलना में अप्रैल-जून के दौरान अपेक्षित आवास बिक्री में गिरावट का कोई आंकड़ा नहीं दिया.
सीमेंट और इस्तपात की कीमतों में भारी बढ़ोतरी हुई
क्रेडाई के अध्यक्ष हर्ष वर्धन पटोड़िया ने कहा, पिछले एक साल के दौरान सीमेंट और इस्तपात की कीमतों में भारी बढ़ोतरी हुई है. इसलिये मध्यम से लंबी अवधि में आवास कीमतों में बढ़ोतरी की संभावना है. उन्होंने कहा कि डेवलपर्स दाम बढ़ाने पर मजबूर हैं क्योंकि वह निर्माण लागत की बढ़ोतरी को स्वयं खपाने की स्थिति में नहीं हैं. एसोसियेसन इस बारे में कई बार सरकार को लिख चुकी है कि सीमेंट और इस्पात के दाम पर नियंत्रण किया जाये. भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग में भी इसकी शिकायत की गई है.
क्रेडाई के अनुसार 90 फीसदी रियल एस्टेट डेवलपरों का मानना है कि कोविड-19 की दूसरी लहर उनके व्यवसाय के लिए पहली लहर की तुलना में अधिक ‘विनाशकारी’ रही है. क्रेडाई द्वारा किये गए एक सर्वेक्षण के अनुसार अप्रैल के बाद से नई आवासीय बिक्री और संग्रह में भारी गिरावट आई है. अधिकतर डेवलपरों को कई राज्यों में लगे लॉकडाउन के कारण परियोजनाओं में देरी का डर है.
इन चुनौतियों का है खतरा
डेवलपरों ने श्रमिकों की कमी, वित्तीय बाधाएं, अनुमोदन में देरी, निर्माण लागत में वृद्धि और कमजोर ग्राहक मांग जैसे चुनौतियों का खतरा जताया है. वहीं, अंतरराष्ट्रीय संपत्ति सलाहकार नाइट फ्रैंक की रिपोर्ट के अनुसार जनवरी-मार्च 2021 के दौरान वैश्विक स्तर पर आवास मूल्य वृद्धि के मामले में भारत 55 वें स्थान पर रहा है. इसी अवधि में 32 प्रतिशत मूल्य वृद्धि के साथ खाड़ी देश तुर्की पहले स्थान पर रहा है. भारत में वर्ष 2020 की चौथी तिमाही के मुकाबले इस वर्ष जनवरी-मार्च तिमाही के दौरान आवास कीमतों में 1.6 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है.
नाइट फ्रैंक ने अपनी ‘ग्लोबल हाउस प्राइस इंडेक्स – क्यू1 2021’ जारी की. यह वैश्विक स्तर पर 56 देशों और क्षेत्रों की आवासीय कीमतों में घटबढ़ पर नजर रखता है. इससे पहले मार्च में जारी रिपोर्ट में भारत 56वें स्थान पर था. अब भारत एक स्थान ऊपर 55वें स्थान पर पहुंच गया है और दुनिया भर के 56 देशों की सूची में केवल स्पेन से आगे है.