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मैन्युफैक्चरिंग इंडस्ट्री तकनिकी प्रगति और बदलती वैश्विक गतिशीलता से प्रेरित होकर महत्वपूर्ण
इस समय एक बड़े बदलाव से गुजर रहा है। कोविड महामारी ने डिजिटल कनेक्टिविटी की गति को तेज किया है, वहीं दुनियाभर में लागू हो रही “मेक हियर” नीतियाँ लोकल उत्पादन को प्रोत्साहित कर आपूर्ति श्रृंखला को मज़बूत बना रही हैं। भारत के प्रमुख विनिर्माण केंद्रों में, छत्तीसगढ़ से 2024-25 में राज्य के GSDP में लगभग 48% योगदान की उम्मीद है।
“वायर्ड टू विन” शीर्षक वाले व्हाइट पेपर के अनुसार –  वायरलेस, क्लाउड और नेटवर्किंग टेक्‍नोलॉजी मैन्युफैक्चरिंग के भविष्य को आकार दे रहें हैं।
भारत का मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर अपने जीडीपी योगदान को वर्तमान 13% से बढ़ाकर 25% तक पहुँचाने का लक्ष्य लेकर चल रहा है। ‘मेक इन इंडिया’ अभियान ने पहले ही वित्त वर्ष 2023 में $0.45 ट्रिलियन के निर्यात और 6% की वृद्धि दर्ज की है। इस रफ्तार को बनाए रखने के लिए, मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों को ऑटोनोमस सिस्टम्स, एआई और क्लाउड कंप्यूटिंग जैसी तकनीकों को अपनाना होगा। इंटेलिजेंट और अनुकूल मशीनें इस परिवर्तन का केंद्र होगी। ऐसे में, निर्माताओं को क्लाउड टेक्‍नोलॉजी, एआई, डेटा गवर्नेंस जैसी क्षमताएं विकसित करनी होंगी और सही टेक्‍नोलॉजी  चुनना होगा।
इस पेपर में प्रस्तुत TASK-ICAN मॉडल मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों को उनके टेक्नोलॉजी निवेश का अधिकतम लाभ उठाने में मदद करता है। TASK (ट्रैक, आर्टिकुलेट, सेट स्टैक, KPI) चरण में ट्रेंड की पहचान, लक्ष्यों का निर्धारण और तकनीक का चुनाव शामिल है। इसके बाद ICAN (इंस्ट्रूमेंटेशन, कनेक्टिविटी, एप्लिकेशन, नेटवर्किंग टेक्नोलॉजीज) को अपने उद्देश्यों के अनुसार चुना जाता है, जिससे एक समग्र डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन रणनीति बनती है।
भारत का मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर पांच प्रमुख रुझानों से प्रभावित है। भू-राजनीतिक बदलाव, जैसे “मेक इन इंडिया” और पीएलआई पहल, लोकल सोर्सिंग को बढ़ावा दे रहे हैं, जिससे भारत ग्लोबल सप्लाई चेन की एक अहम कड़ी बन गया है। सतत विकास और डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन जोर पकड़ रहे हैं, एआई और IoT कामकाज में सुधार कर रहे हैं और उत्सर्जन को कम कर रहे हैं। प्रोडक्ट डेवलपमेंट साइकिल छोटा हो रहा है, 2026 तक लीड टाइम में 30% की कमी आने की उम्मीद है। निर्माता उत्पादकता और लागत में कमी के लिए परिणाम-आधारित एसएलए (SLA) पर फोकस कर रहे हैं। हालांकि, कुशल श्रमिकों की कमी बनी हुई है, अनुमान है कि एडवांस मैन्युफैक्चरिंग में 2030 तक 85-90 मिलियन श्रमिकों की जरूरत होगी।
इस बदलाव में एयरटेल बिज़नेस एक प्रमुख भागीदार के रूप में सामने आ रहा है। यह IoT इंटीग्रेशन के लिए इंस्ट्रूमेंटेशन डिजिटलाइजेशन, 5G आधारित हाई-स्पीड, लो लेटेंसी कनेक्टिविटी, और क्लाउड समाधानों के जरिए डेटा प्रबंधन और सहयोग की सुविधा प्रदान करता है। इसके सुरक्षित नेटवर्किंग सॉल्यूशंस सुनिश्चित करते हैं कि इंटरकनेक्टेड सिस्टम्स की कनेक्टिविटी विश्वसनीय बनी रहे – जिससे एयरटेल, डिजिटल बदलाव का अहम प्रवर्तक बन गया है।

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