इंदौर : भारत सरकार के वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय द्वारा देश के बाहर से दलहन – तुअरउड़द व मुंग के आयात को प्रतिबन्ध से मुक्त कर दिया है।आल इंडिया दाल मिल एसोसिएशन के अध्यक्ष सुरेश अग्रवाल ने बताया कि भारत सरकार के इस निर्णय से देश के किसानों को अत्यधिक नुकसान की संभावना हैसाथ ही देश की दाल इंडस्ट्रीज पर भी इसका दुष्प्रभाव पड़ेगा। तथा उद्योगों के उत्पादन में कमी आ सकती है।

श्री अग्रवाल ने आगे बताया कि देश में तुअरउड़द व मुंग की पैदावार करने पर किसानों को काफी खर्च आता हैकिसानों को इन फसलों के उत्पादन में खादबीजकीटनाशक दवाइयांडीज़ल खर्चबिजली खर्चमजदूरी खर्चट्रेक्टर का खर्चबुआईफसल की कटाई सहित अन्य खर्च जोड़ने पर सामान्य रूप से तुअरउड़द व मुंग (कच्चा माल/ रॉ मटेरियल) बेचने पर कम से कम 75 से 85 रूपए प्रति क्विंटल कीमत मिलने पर थोड़ी सी आमदनी होती है

75 से 85 रूपए से भी कम में कच्चा माल बिकने पर किसानों को तुअरउड़द व मुंग की खेती में कोई लाभ मिलने की संभावना नहीं रहती है। इसलिए तुअरउड़द व मुंग का उत्पादन होने पर कम से कम 75 से 85 रूपए प्रति क्विंटल कीमत प्राप्त होने पर ही किसान इन फसलों को बोने में रूचि लेंगेअन्यथा कम कीमतें मिलने पर अन्य फसलों की बुआई की और अग्रसर होंगे। जिससे दलहन का उत्पादन देश में कम रहने की संभावना बनेगी।

तुअरउड़द व मुंग के आयात के ओपन लाइसेंस के तहत देश के बाहर से दलहन आने पर देश के अंदर और बाहर बड़ी – बड़ी कंपनियों के हाथ में व्यापार परिवर्तित हो जायेगाक्योंकि बड़ी कंपनियों द्वारा ज़िम्बाब्वेकेन्यासाउथ अफ्रीकामलावीम्यांमार (बर्मा) सहित अन्य देशों में बड़ी मात्रा में तुअर, उड़द व मुंग की खरीदी की गयी हैबड़ी मात्रा में देश के बाहर व अंदर इन कंपनियों ने तुअर, उड़द व मुंग का स्टॉक कर रखा है। इससे दाल इंडस्ट्रीज को कोई दिक्कत नहीं हैकिन्तु यह बड़े व्यापारी अधिक भाव मिलने पर माल का विक्रय करेंगेजिससे आम उपभोक्ताओं को भी नुकसान होगा। देश के बाहर से आयात पालिसी के तहत देश की इंडस्ट्रीज को आयात करने के लिए वर्ष 2021-22 की जो पालिसी बनीउसमे देश की समस्त इंडस्ट्रीज से सरकार ने दिनांक 15/04/2021 तक आयात लाइसेंस के आवेदन मंगवाएइसमें अचानक 45 दिनों में बड़ा परिवर्तन करके आयात को बंधन मुक्त करना उचित नहीं है।  

 दाल इंडस्ट्रीज द्वारा दलहनों का आयात करने पर इंडस्ट्रीज में रोजगार भी मिलता है और दालों का उत्पादन भी होता है और तुअरउड़द व मुंग से निर्मित दालें निरंतर विक्रय होती हैंजिसमे मुनाफाखोरी की संभावना बहुत कम होती है। आयात को लाइसेंस मुक्त करने से बड़े ट्रेडर्स व्यापारीबड़ी मल्टीनेशनल कंपनियां और बड़े खरीददार व्यापारी तुअरउड़द व मुंग तो मंगवाएंगे और माल मंगवाकर अधिक भाव में विक्रय करेंगे। विदेशों से अधिक मात्रा में तुअरउड़द व मुंग भारत में आने पर किसानों को उनकी उपज की कीमतें कम मिलेंगीजिससे देश में दलहन का उत्पादन गिरने की संभावना बढ़ेगी। किसानों को अभी जो समर्थन मूल्य मिल रहा हैवह ऐसी परिस्थितियों में नहीं मिल पायेगा और किसानों को अधिक नुकसान होगा।

आयात ओपन करने से विदेशों में सप्लाई करने वाली बड़ी कंपनियों ने कीमतें बड़ा दी हैंजिससे देश के व्यापारीदाल इंडस्ट्रीज को अधिक कीमत में माल खरीदने को मजबूर होना पड़ेगा।

ऑल इंडिया दाल मिल एसोसिएशन ने सरकार से अनुरोध किया है कि तुअरउड़द व मुंग के आयात को अधिसूचना जारी कर जो प्रतिबन्ध से मुक्त किया हैउस पर सरकार को देश के किसानोंदाल इंडस्ट्रीज और छोटे व्यापरियों के हित में पुनर्विचार कर उचित निर्णय लेना चाहिए।