एयर इंडिया काफी समय से घाटे में चल रही है। इसके चलते सरकार पहले भी इसमें अपनी हिस्सेदारी बेचने का प्रयास कर चुकी है। सरकार ने पिछले साल भी हिस्सेदारी बेचने की घोषणा की थी। उस दौरान एक भी निजी खरीदार ने इस सौदे में रुचि नहीं दिखाई थी। सरकार ने कहा है कि अगर एयर इंडिया का निजीकरण नहीं हुआ तो इसका परिचालन बंद करना पड़ेगा। 31 मार्च, 2020 तक इसके विनिवेश का लक्ष्य रखा गया है। इसके अलावा कंपनी को आकर्षक बनाने के लिए इसके कर्ज को कम करने का प्रयास भी किया जा रहा है।

इस सरकारी विमानन कंपनी के पास भारत सहित दुनियाभर में लाभप्रद लैंडिंग स्लॉट और अन्य संपत्तियां हैं। फिलहाल कंपनी कर्ज के बोझ तले दबी हुई और परिचालन का खर्च चुकाने में असमर्थ है। इस कमी को पूरा करने के लिए सरकार अपनी फ्लाइंग ट्रेनिंग एकेडमी को अपग्रेड करेगी। इसके साथ ही समझौते में भी कर्मचारियों के हितों का ख्याल रखा जाएगा। पुरी ने बताया कि वित्तीय संकट के दौरान कर्मचारियों का 25 परसेंट वेतन रोक लिया गया था। विनिवेश से पहले ही उनका पूरा वेतन चुका दिया जाएगा। पूर्व कर्मचारियों को नौकरी तलाशने में मदद के लिए एक पोर्टल खोला गया है।