पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में वित्तीय वर्ष 22 की तीसरी तिमाही के लिए कंसोलिडेटेड राजस्व 16 प्रतिशत बढ़कर रूपये 24,402 करोड़ पर पहुंचा, ईबीआइटीडीए रूपये 4,107 करोड़ पर रहा और पीएटी 26 प्रतिशत बढ़कर रूपये 1,746 करोड़ पर पहुंचा
पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में  वित्तीय वर्ष 22 की तीसरी तिमाही पर स्टैंडअलोन राजस्व 56 प्रतिशत की ऊँची छलांग मारकर रूपये 5,785 करोड़ पर पहुंचा, ईबीआइटीडीए 36 प्रतिशत बढ़कर रूपये 963 करोड़ रूपये पर पहुंचा और पीएटी 46 प्रतिशत बढ़कर  बंद किये गये संचालनों (फ़र्टिलाइज़र व्यवसाय) से प्राप्त राजस्व तथा ईबीआइटीडीए वित्तीय वर्ष 22 की तीसरी तिमाही के लिए क्रमशः रूपये 974 करोड़ तथा रूपये 53 करोड़ रहा (वित्तीय वर्ष 21 की तीसरी तिमाही: रूपये 598 करोड़ तथा रूपये 57 करोड़)
वित्तीय सेवा प्रदाता- आदित्य बिरला कैपिटल लिमिटेड (एबीसीएल):
आदित्य बिरला कैपिटल लिमिटेड (एबीसीएल) का समेकित राजस्व, 13.4 प्रतिशत बढ़कर 5,706 करोड़ रूपये तथा टैक्स पश्चात समेकित पीएटी (मायनोरिटी ब्याज के बाद) 99. 7 प्रतिशत बढ़कर 577 करोड़ रूपये हो गया है, (दोनों ही पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में बढ़ गए)। एबीसीएल का फोकस 31 मिलियन के एक्टिव कस्टमर बेस की मात्रा को अधिकतम करने तथा बड़े पैमाने पर ग्राहक अधिग्रहण करने की ओर है.
एनबीएफसी तथा हाऊसिंग फायनेंस की लैंडिंग बुक वित्तीय वर्ष 22 की तीसरी तिमाही में पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 7 प्रतिशत बढ़कर 61,411 करोड़ रूपये पर रही है। एनबीएफसी की लोन बुक रूपये 49,805 करोड़ तक बढ़ी है जो कि पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 9  प्रतिशत वृद्धि को दर्शाता है. रिटेल, एसएमई व एचएनआई लोन बुक पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 24 प्रतिशत बढ़ी है जिससे दिसंबर 21 में ओवरऑल बुक में इसका योगदान अब तक का सर्वोच्च यानी 60 प्रतिशत पर रहा है जबकि पिछले वर्ष यह 53 प्रतिशत था. एनबीएफसी व्यवसाय ने पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 100  bps उठते हुए 6.24 प्रतिशत पर अब तक का सबसे ऊंचा नेट इंट्रेस्ट मार्जिन (फी इनकम को मिलाकर) दर्ज किया है। इसके पीछे उधार की कम लागत और रिटेल व SME सेगमेंट में हुई वृद्धि वजह रही है।
असैट मैनेजमेंट में,घरेलू AAUM  पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 17  प्रतिशत बढ़कर 2,98,763 करोड़ रूपये (वित्तीय वर्ष 22 तीसरी तिमाही) हो गया। PBT/AAUM  भी बढ़कर वित्तीय वर्ष 21 की तीसरी तिमाही के 30.1 बीपीएस की तुलना में वित्तीय वर्ष 22 की तीसरी तिमाही में बढ़कर 33.1 बीपीएस पर पहुंच गया।
पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में जीवन बीमा में इंडिविजुअल प्रथम वर्ष प्रीमियम 16.51 प्रतिशत बढ़कर 635 करोड़ रूपये हो गया। कुल प्रीमियम पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 21 प्रतिशत बढ़ते हुए वित्तीय वर्ष 22 की तीसरी तिमाही में 3,145 करोड़ रुपये पर पहुंच गया।
हेल्थ इंश्योरेंस व्यवसाय में, वित्तीय वर्ष 22 की तीसरी तिमाही के लिए ग्रॉस रिटन प्रीमियम पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 31 प्रतिशत बढ़ते हुए 406  करोड़ रूपये पर पहुँच गया जिसमें रिटेल का योगदान कुल बिजनेस में 65 प्रतिशत का रहा. व्यवसाय में 97 प्रतिशत पॉलिसीज को डिजिटली जारी करने के साथ डिजिटल सक्षमता में भारी बढ़ोत्तरी देखी गई.