अब वक्त गुजर चुका है कि मौसम आधारित खेती की जाये, आज वही किसान सफल है जो गैर ऋतु में न मिलने वाले कृषि उत्पादों का उत्पादन करते हैं। वही किसानों को आत्मनिर्भर बनने के लिए जरुरत है कि जल उनके खेतों तक पहुंचने के लिए प्राकृतिक वर्षा पर निर्भर ना रहना पड़े एवं उनके खेतों तक पानी आवश्यकतानुसार पहुंचे।
इसके लिए जिम्मेदार विभाग के साथ आमजन और सामाजिक दायित्व के दायरे में आने वाली तहत कार्य करने वाली औद्योगिक संस्थाएं आगे आएं और खेती को लाभ का धंधा बनाने में सहयोग करें। देश की 65 प्रतिशत आबादी खेती पर ही निर्भर है। मध्य प्रदेश के कृषि क्षेत्र में बेहतरीन कार्य के लिए लगातार तीन वर्षों से राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त कर चुका है। मध्य प्रदेश की 62 प्रतिशत आबादी आज भी कृषि पर निर्भर है।
मध्य प्रदेश के सिंगरौली जिले में स्थित हिंडालको महान एल्युमिनियम कंपनी ने औद्योगिक विकास के माध्यम से प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से 5000 से ज्यादा स्थानीय लोगों को रोजगार मुहैया कराया है। साथ ही सामाजिक दायित्वो के तहत अपने आसपास के गांव में कृषि को लाभ का धंधा व्यवसाय बनाने के लिए आधारभूत सुविधा को प्रधान करने में लगा हुआ है। किसानो को अच्छा बीज कम दाम में प्राप्त हो इसके लिए सरकार द्वारा प्रेषित बीजो को अपनी और से अनुदान देकर किसानों पर बीच के खर्च का बोझ कम किया है। इसका असर यह हुआ कि लोगों का रुझान खेती की और बढ़ रहा है।
कुछ साल पहले बारिश की कमी के कारण ग्राम ओडगडी व बाघाडीह के किसान खेती छोड़ने को मजबूर हो गए थे, क्योंकि बारिश में धान की बुआई तो कर लेते थे लेकिन गैर बारिश ऋतु में उन्हें सूखे का सामना करना पड़ता था। सिंचाई की पर्याप्त व्यवस्था ना होने के कारण किसान मजबूरन खेती छोड़ शहर की और मजदूरी करने को पलायन करने लगे थे।
हिंडालको महान ने पलायन के समस्या को देखते हुए निगमित सामाजिक दायित्व के तहत कुछ 29 चेक-डेम का निर्माण कराया जिससे 6235 एकड़ जमीन की सिंचाई संभव हो पाई साथी ही भू- जलस्तर मैं भी काफी वृद्धि देखी गई।
साथ ही इन चेक डेमो में लोग मछली पालन कर अपना आर्थिक जीवन स्तर ऊंचा कर रहे हैं। ग्राम ओडगडी व बाघाडीह के किसान जो पलायन के लिए मजबूर हो गए थे इन गावों में कुल 7 चेक डैम का निर्माण कराया गया। साथी ही वाटर लिफ्टिंग उपकरण लगाए गए जिससे खेती करने के लिए किसानों ने अपना रुख पुनः खेती की और कर लिया। इसी गांव के रहने वाले कन्हैयालाल व राजकुमार तो गांव छोड़ कर शहर की ओर काम की तलाश में जाने की पूरी तैयारी कर चुके थे, लेकिन नवनिर्मित चेक डैम में भरता हुआ पानी देख उनकी आंखों में पुनः खेती करने की उम्मीद जाग्रत हो गई। साथ ही गर्मियों के दिनों में पानी की उपलब्धता को देखकर कन्हैयालाल व बृजेश को अपने गांव में ही रहकर खेती करने का इरादा कर लिया। वही बृजेश आज खेती के साथ-साथ दुग्ध उत्पादन कर प्रतिमाह ₹30000 की आमदनी कमा रहा है। वही राजकुमार जो विद्यालय में अस्थायी शिक्षक के रुप में पदस्थ था आज वो शिक्षण कार्य के साथ-साथ सब्जिओं का उत्पादन कर अच्छी आमदनी कमा रहा है। ऐसे किसान जो पिछले वर्ष तक खेती से किसी प्रकार का लागत तक नहीं निकाल पा रहे थे, वही किसान खेती से बेहतरीन लाभ उठाने लगे। जहां बरसात में लोग मूंगफली, धान, उड़द, अरहर, मक्का का उत्पादन तक सीमित थे, अब ठंडी में गेहूं, चना, मटर, तिल की खेती के साथ-साथ गर्मियों में सब्जियों का उत्पादन कर तीनों मौसम में खेती से मुनाफा कम आ रहे हैं।
वही बाघाडीह ग्राम में भी चार चेक डैम निर्माण कराए गए हैं, जिससे नारायणदास व रामरतन सब्जियों का 12 महीने उत्पादन कर किसी नौकरी पेशे व्यक्ति से बेहतर आय अर्जन कर रहे हैं। यहां सब्जियां किसान अपने खेतों से सीधे मंडी पहुंचा रहे हैं, साथ ही आसपास से गुजरने वाले लोगों को ताजी सब्जियां खाने को मिल रही है। वही बेटहाडाड चौराहे पर बाजार लगाकर घर की महिलाएं भी आय अर्जित कर रही हैं।
ग्राम बाघाडीह के रहने वाले सरपंच अजीत द्विवेदी हिंडालको महान परियोजना के चेक डैम निर्माण मिशन को सबसे बेहतरीन कदम मानते हैं। वे कहते हैं यहां चैक डेम किसानों के लिए अन्नपूर्णा स्वरुप है। इन चेक-डेमो से गांव मझिगवां, पोखरा, भलुगढ़, कनई, बरेनिया, डगा, जोबगढ़, बरगवा जैसे ग्राम पंचायतों के किसानों की आय में वृद्धि के साथ-साथ भूमिगत जल स्तर में भी वृद्धि हो रही है। साथी ही प्रधानमंत्री के जल संरक्षण मिशन में भी अहम् भूमिका निभा रही है।