इन्फोसिस ने देश की सबसे बड़ी इन्फर्मेशन टेक्नॉलजी (आईटी) कंपनी टीसीएस को रेवेन्यू ग्रोथ के मामले में लंबे समय बाद शिकस्त दी। कंपनी ने शुक्रवार को जारी अपनी रिपोर्ट में बताया कि उसने अप्रैल-जून तिमाही में 12.4% की रेवेन्यू ग्रोथ हासिल की।
बेंगलुरु, इन्फोसिस ने चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही के नतीजों से सबको चौंका दिया। देश की इस प्रतिष्ठित आईटी कंपनी ने अप्रैल-जून तिमाही में सालाना आधार पर 12.4% की रेवेन्यू ग्रोथ हासिल की। कंपनी ने राजस्व में यह वृद्धि दर स्थिर मूल्य पर हासिल की। इस तगड़े प्रदर्शन से न्यू यॉर्क स्टॉक एक्सचेंज पर शुरुआती कारोबार में इन्फोसिस का शेयर 6 से 7 प्रतिशत मजबूत हो गया। शुक्रवार को जब इन्फोसिस के परिणाम आए तब तक घरेलू शेयर बाजार बंद हो चुका था।
टीसीएस को पछाड़ा- गौरतलब है कि इन्फोसिस का ग्रोथ रेट पिछली तिमाही के मुकाबले ज्यादा है। उसने लंबे समय बाद अपनी सबसे करीबी प्रतिस्पर्धी कंपनी टाटा कंसल्टंसी सर्विसेज (टीसीएस) को पछाड़ दिया। टीसीएस ने भी इसी सप्ताह जून में खत्म हुई तिमाही के रिजल्ट घोषित किए थे। तब उसने बताया था कि पिछली तिमाही के 12.7% के मुकाबले जून तिमाही में उसका ग्रोथ रेट घटकर 10.6% रहा गया।
राजस्व अनुमान में सुधार -इन्फोसिस के इस शानदार प्रदर्शन के आधार पर इस वर्ष उसकी राजस्व वृद्धि के अनुमान में सुधार की गुंजाइश दिख रही है। अब उसका राजस्व 8.5 से 10 प्रतिशत तक बढ़ने का अनुमान जताया जा रहा है जो पहले 7.5 से 9.5 प्रतिशत था। कंपनी ने बताया कि उसने 2.7 अरब डॉलर की अब तक की सबसे बड़ी डील साइन की है। उसे डिजिटल बिजनस से प्राप्त रेवेन्यू 41 प्रतिशत बढ़ गया।
बड़ी-बड़ी डील से मिली मदद -इन्फोसिस के सीईओ और एमडी सलिल पारेख ने कहा, ‘हमने इस वर्ष की बड़ी मजबूत शुरुआत की है।’ उन्होंने आगे कहा, ‘बड़े-बड़े समझौतों के प्रदर्शन महत्वपूर्ण रहे। कम्यूनिकेशन, एनर्जी, यूटिलिटीज और रिसॉर्सेज समेत हमारे कई सेक्टर्स दोहरे अंकों में बढ़ रहे हैं। हमें ग्रोथ के मद्देनजर कई चीजें दिख रही हैं।’ दरअसल, कंपनी का डिजिटल बिजनस रेवेन्यू लगातार दूसरी तिमाही में 1 अरब डॉलर से ज्यादा रहा है। कंपनी के कुल रेवेन्यू में इसकी हिस्सेदारी बढ़कर 35.7 प्रतिशत हो गई है।
इन्फोसिस के लिए ये चिंताएं भी
हालांकि, कंपनी का पारंपरिक कारोबार 2 अरब डॉलर रहा जो चिंता का विषय है। साथ ही, सालाना आधार पर इसका शुद्ध मुनाफा 4.2 प्रतिशत गिरकर 642 अरब डॉलर पर आ गया। वहीं, वीजा की लागत में वृद्धि और कंपेनसेशन देने में ज्यादा रकम खर्च होने के कारण इसका ऑपरेटिंग मार्जिन भी घटकर 20.5 प्रतिशत रह गया जो पिछले वित्त वर्ष की आखिरी तिमाही में 21.5 प्रतिशत रहा था।