नई दिल्ली : शेयर बाजार निवेश के लिहाज से सबसे अधिक जोखिमभरा माना जाता है। हालांकि, कोरोना संकट में छोटे निवेशकों का रुझान शेयरों में सीधे निवेश की तरफ तेजी से बढ़ा है। वहीं बाजार में तेजी के रुख को देखते हुए पिछले तीन माह में 12 कंपनियों ने अपने आरंभिवक सार्वजनिक निर्गम (आपीओ) बाजार में उतारे हैं। लेकिन आईपीओ में शेयर हासिल करने से चूकने पर कई निवेशकों ने सूचीबद्धता (लिस्टिंग) के पहले दिन शेयर खरीदने का जोखिम उठाया है। इसमें उन्हें 40 फीसदी से अधिक तक का नुकसान उठाना पड़ा है। ऐसे में आईपीओ में आवंटन से चूक गए हैं तो सूचीबद्धता के दिन जरा संभल कर किस्मत आजमाएं।
आईपीओ में खरीदने के लिए होड़
बाजार के माहौल को देखकर कई कंपनियां आईपीओ लाई हैं। कुछ कंपनियों के आईपीओ में आवेदन 40 गुना अधिक तक मिले हैं। ऐसे में हर आवेदक को शेयर मिलना तय नहीं है। इसमें कुछ ही लोगों को आईपीओ मिल पाता है। इसके बाद बचे निवेशक सूचीबद्धता के पहले दिन खरीदने की तैयारी में होते हैं।
कितना फायदेमंद पहले दिन खरीदारी
इस साल तीन माह में 12 कंपनियां शेयर बाजार में सूचीबद्ध हुई हैं। इसमें से 11 पहले दिन के कारोबारी भाव से भी नीचे के स्तर पर हैं। जबकि इनमें से दो कंपनियों का शेयर भाव सूचीबद्धता की कीमत से भी नीचे पहुंच गया है। यानी जिन लोगों को आईपीओ में शेयर मिले वह तो फायदे में रहे लेकिन जिन लोगों ने हड़बड़ी या ज्यादा जोश में सूचीबद्धता दिन खरीदा वह घाटे में रहे हैं।
40 फीसदी से ज्यादा नुकसान
पिछले तीन माह में जारी आईपीओ में कई कंपनियों के शेयर भाव पहले दिन के मुकाबले 30 फीसदी से भी अधिक नीचे जा चुके हैं। इसमें एमआरएस बैक्टर्स 40 फीसदी से ज्यादा टूटा है. वहीं एंटोनी वेस्ट करीब 30 फीसदी फिसला है। जबकि इंडिगो पेंट में भी 25 फीसदी से अधिक की गिरावट आई है। ब्रूकफिल्ड करीब 20 फीसदी और नुरेका 15 फीसदी के करीब टूटा है। हेरनबा का भाव भी 20 फीसदी से अधिक नीचे जा चुका है।
मुनाफा काटकर निकल रहे निवेशक
बाजार में आईपीओ लाने की होड़ के बीच सतर्क निवेशक उसमें मुनाफा काटकर नए में निवेश की रणनीति पर काम कर रहे हैं। सलाहकार फर्म अल्फाआइडियाज डॉटइन ब्लॉक के संस्थापक नीतिन राव का कहना है कि हाल के दिनों में आए ज्यादातर आईपीओ वास्तविक से ऊंची कीमत पर सूचीबद्ध हुए। वहीं बड़े निवेशक एक माह का लॉकइन पीरियड खत्म होने के बाद मुनाफा काटकर निकलने के बाद दूसरे नए आईपीओ में निवेश कर रहे हैं। इससे भी पुराने आईपीओ वाली कंपनियों के शेयर भाव घट रहे हैं।