नई दिल्ली। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ऑटो इंडस्ट्री को बढ़ावा देने व इस क्षेत्र का विकास करने के लिए कई प्रयास कर रहे हैं। इसी क्रम में एक कार्यक्रम को संबोधित करते समय मंत्री ने सोमवार को कहा कि वह अगले दो-तीन दिनों में एक आदेश जारी करेंगे, जिसमें कार निर्माताओं के लिए वाहनों में फ्लेक्स-फ्यूल इंजन लगाना अनिवार्य कर दिया जाएगा।

मंत्री ने कहा, भारत हर साल 8 लाख करोड़ रुपये के पेट्रोलियम उत्पादों का आयात करता है, और अगर देश फ्लेक्स फ्यूल पर डिपेंड हो जाएगा तो, अगले पांच सालों में इसका आयात बिल बढ़कर 25 लाख करोड़ रुपये हो जाएगा।

कार्यक्रम के दौरान गडकरी ने कहा, “फॉसिल फ्यूल के इंपोर्ट को कम करने के लिए हम अगले 2-3 दिनों में एक फाइल पर हस्ताक्षर करने जा रहा हूं, जिसमें कार निर्माताओं को (जो एक से अधिक ईंधन पर चल सकते हैं) फ्लेक्स-फ्यूल इंजन लगाना अनिवार्य हो जाएगा।” ‘फ्लेक्स फ्यूल’ या लचीला ईंधन, गैसोलीन और मेथेनॉल या इथेनॉल के संयोजन से बना एक वैकल्पिक ईंधन है।

गडकरी ने कहा कि टोयोटा मोटर कॉर्पोरेशन, सुजुकी और हुंडई मोटर इंडिया के शीर्ष अधिकारियों ने उन्हें आश्वासन दिया है कि वे अपने वाहनों को फ्लेक्स इंजन के साथ पेश करेंगे।

इसके अलावा भारत में फिलहाल पुणे ही एक ऐसा शहर है जहां तीन एथेनाल स्टेशन हैं। इसी साल पांच जून को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीन E-100 एथेनाल डिस्पेंसिंग स्टेशन की शुरुआत की थी। बता दें कि इससे पहले गडकरी ने फ्लेक्सी -फ्यूल इंजन मैन्यूफैक्चर करने की आटोमोबाइल इंडस्ट्री से अपील की थी। फिलहाल भारत में एथेनाल से चलने वाली कुछ ही गाड़ियां हैं, जो पुणे में देखी गई हैं।

फ्लेक्स-फ्यूल व्हीकल्स को आटोमोबाइल की दुनिया में FFVs के नाम से भी जाना जाता है। इसके इंजन में अलग – अलग अनुपात में पेट्रोल और एथेनॉल मिलाकर चला सकते हैं। हालांकि, भारत में फ्लेक्स फ्यूल पर चलने वाली गाड़ियां मार्केट में नहीं आई हैं।