मुंबई। नंदिनी पीरामल के नेतृत्व वाले पीरामल एंटरप्राइजेज के ओवर द काउंटर (ओटीसी) स्वास्थ्य सेवा कारोबार अगले तीन साल में न केवल अपने कुल कारोबार को दोगुना करने का लक्ष्य रखा है बल्कि अब वह अपने ब्रांड की ओर ग्राहकों को आकर्षित करने पर कहीं अधिक ध्यान केंद्रित कर रहा है।

पिछले महीने पीरामल एंटरप्राइजेज ने कहा था कि वह अपने फार्मा और वित्तीय सेवा कारोबार को अलग करेगी। कारोबार को अलग करने की प्रक्रिया अगली तीन तिमाहियों में पूरी होने की उम्मीद है।

करीब 5,776 करोड़ रुपये के कारोबार वाली कंपनी पीरामल फार्मा अपने भारतीय कारोबार से महज 15 फीसदी राजस्व अर्जित करती है जबकि उसका अधिकांश राजस्व उत्तरी अमेरिका से आता है। पीरामल के फार्मा कारोबार में अनुबंध आधारित विकास एवं विनिर्माण (सीडीएमओ) कारोबार (शीर्ष तीन भारतीय कंपनियों में शामिल), जटिल अस्पताल जेनेरिक कारोबार, भारतीय उपभोक्ता स्वास्थ्य सेवा कारोबार और ऑप्थैल्मोलॉजी क्षेत्र में एलर्गन के साथ संयुक्त उद्यम शामिल हैं।

इनमें से सीडीएमओ कारोबार कंपनी के कुल औषधि राजस्व में 62 फीसदी योगदान करता है जबकि अस्पताल जेनेरिक कारोबार का राजस्व में योगदान 29 फीसदी है। इसी प्रकार भारतीय स्वास्थ्य सेवा कारोबार से कंपनी करीब 9 फीसदी राजस्व अर्जित करती है।

पीरामल फार्मा अपने भारतीय उपभोक्ता स्वास्थ्य कारोबार को रफ्तार देने की कोशिश कर रही है। पीरामल एंटरप्राइजेज लिमिटेड की कार्यकारी निदेशक एवं ओटीसी कारोबार की प्रमुख नंदिनी पीरामल ने कहा कि अगले तीन साल में इस इकाई के कुल कारोबार को करीब दोगुना करते हुए 1,000 करोड़ रुपये करने की योजना है। उनका मानना है कि वितरण आधारित कारोबार को उपभोक्ता आधारित कारोबार बनाने के लिए कारोबार मॉडल में बदलाव करने का यह बिल्कुल उपयुक्त समय है।

पीरामल ने कहा, ‘पिछले आठ साल के दौरान हमने अपना वितरण नेटवर्क तैयार करने पर ध्यान केंद्रित किया है और अब हम अपने ब्रांड की ओर उपभोक्ताओं को आकर्षित करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहते हैं। हमें खुद की तुलना उन उपभोक्ता ब्रांडों के साथ करना होगा जो ब्रांडिंग और मार्केटिंग पर काफी खर्च कर रहे हैं। अब हमने निर्णय लिया है कि हम इस प्रकार की विपणन गतिविधियों पर सालाना करीब 100 करोड़ रुपये खर्च करेंगे।’