नई दिल्ली। पेट्रोल-डीजल (Petrol-diesel) की बढ़ती कीमत से भारत ही नहीं पूरी दुनिया परेशान है। केंद्र सरकार ने दिवाली से एक दिन पहले पेट्रोल और डीजल पर एक्साइज ड्यूटी में राहत दी थी। इसके बाद अधिकांश राज्यों ने भी पेट्रोल-डीजल पर लगने वाले वैट (VAT) में कटौती की थी। लेकिन अब भी देश में पेट्रोल की कीमत 100 रुपये प्रति लीटर और डीजल की 90 रुपये प्रति लीटर के आसपास है। अमेरिका में भी पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों से लोग परेशान है।

अमेरिका में अक्टूबर के अंत में तेल की कीमत 85 डॉलर प्रति बैरल के पार चली गई थी। अब बाइडेन प्रशासन इस पर लगाम लगाने के लिए यूएस स्ट्रैटजिक पेट्रोलियम रिजर्व (spr)को जारी करने पर विचार कर रहा है। इससे बाइडेन प्रशासन को 2022 में होने वाले मिडटर्म इलेक्शन से पहले आलोचकों का मुंह बंद करने का मौका मिल जाएगा।

क्या है SPR : अमेरिका में 1975 में SPR बनाया गया था। अरब ऑयल पर प्रतिबंध के बाद देश में ते की कीमतों में काफी तेजी आई थी और इससे अमेरिका की इकॉनमी को नुकसान पहुंचा। अमेरिकी राष्ट्रपतियों ने युद्ध और आपात स्थिति में तेल की कीमतों में कमी लाने के लिए इसका इस्तेमाल किया। मैक्सिको की खाड़ी में चक्रवाती तूफान से इन्फ्रास्ट्रक्चर के प्रभावित होने की स्थिति में भी इसका इस्तेमाल किया गया है।
SPR में कितना तेल भंडार है : अभी अमेरिका के पास SPR में 60.6 करोड़ बैरल तेल भंडार है। यह अमेरिका के एक महीने की मांग को पूरा करने के लिए पर्याप्त है। SPR के तहत लूसियाना और टेक्सास के तटों में 4 स्थानों पर तेल भंडार रखा गया है। इनमें सुरक्षा का ऐसा तगड़ा इंतजाम किया गया है कि परिंदा भी पर नहीं मार सकता है। साथ ही देश के नॉर्थईस्ट इलाके में हीटिंग ऑयल और गैसोलीन रिजर्व रखा गया है।

क्या दूसरे देशों के पास भी है ऐसा भंडार : अमेरिका के अलावा International Energy Agency (IEA) के 29 सदस्य देशों के पास स्ट्रैटजिक तेल भंडार है। इनमें ब्रिटेन, जर्मनी, जापान और ऑस्ट्रेलिया शामिल हैं। ये देश 90 दिन के नेट ऑयल इम्पोर्ट के बराबर इमरजेंसी रिजर्व रख सकते हैं। चीन और अमेरिका के बाद जापान के पास सबसे बड़ा इमरजेंसी तेल भंडार है।
भारत का भंडार : चीन आईईए का एसोसिएट मेंबर है और दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा तेल उपभोक्ता है। चीन ने 15 साल पहले SPR बनाया था और सितंबर में पहली बार ऑयल रिजर्व नीलामी की थी। भारत भी आईईए का सदस्य है और दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता और आयातक है। भारत ने भी SPR बनाया है। कुल मिलाकर OECD देशों के पास सितंबर तक 1.5 अरब बैरल से अधिक क्रूड था। यह कोरोना महामारी से पहले 15 दिन की ग्लोबल मांग के बराबर है।

मार्केट में कैसे आएगा यह तेल : SPR अमेरिकी के बड़े रिफाइनिंग और पेट्रोकेमिकल सेंटरों के करीब है और इससे रोजाना 44 लाख बैरल तेल वहां भेजा जा सकता है। एनर्जी डिपार्टमेंट के मुताबिक राष्ट्रपति के फैसले के बाद 13 दिन के भीतर यह तेल अमेरिकी बाजार में पहुंच सकता है। सेल के तहत विभाग ऑनलाइन नीलामी करता है जिसमें तेल कंपनियां बोली लगाती हैं। अदलाबदली के तहत तेल कंपनियां क्रूड लेती हैं और फिर ब्याज के साथ इसे लौटाती हैं।
कैसे घटेंगी कीमतें : अमेरिका के साथ-साथ चीन भी इमरजेंसी ऑयल रिजर्व को जारी करने पर विचार कर रहा है। अगर ये देश अपने रणनीतिक तेल भंडार को रिलीज करते हैं तो इससे पूरी दुनिया में पेट्रोल-डीजल की कीमतों में कमी आ सकती है। अक्टूबर के अंत में कच्चे तेल की कीमत 85 डॉलर के पार पहुंच गई थी जो 2014 के बाद सबसे अधिक थी। लेकिन हाल में इसमें नरमी आई है और यह 80 डॉलर के आसपास है। अमेरिका और चीन के रिजर्व ऑयल भंडार रिलीज करने से इसमें और कमी आ सकती है।