प्रगति कैन कलेक्शन सेंटर, जो कि लखनऊ में स्थापित अपनी तरह का अनूठा केंद्र है, प्रयोग में लाई जा चुकी एल्युमिनियम कैन्स के संग्रहण और प्रोसेसिंग का काम करता है। केंद्र द्वारा इस कार्य में योगदान देने वाले चुनिंदा स्क्रैप डीलर्स का सम्मान किया गया। ये वे स्क्रैप डीलर्स हैं जिन्होंने पिछले दो माह में लखनऊ तथा आस-पास के बाजार से, प्रयोग की जा चुकी एल्युमिनियम कैन्स की लक्ष्य के अनुसार निर्धारित मात्रा संग्रहित करके प्रगति तक पहुंचाई थी।
प्रगति कैन कलेक्शन सेंटर की स्थापना लखनऊ में अगस्त में की गई थी, इस विचार के साथ कि इसके द्वारा शहर तथा आस-पास के इलाकों से प्रयोग में लाइ जा चुकी पेय पदार्थों की एल्युमिनियम कैन्स का लम्बे समय तक और सही तरीके से कलेक्शन किया जा सकेगा। सीतापुर रोड, लखनऊ में 10,000 स्क्वेयर फ़ीट में फैला यह आधुनिक सेंटर कबाड़ में मौजूद पुरानी उपयोग की जा चुकी कैन्स (सॉफ्ट ड्रिंक की मैटल कैन्स) का कलेक्शन करके उन्हें कम्प्रेस करने और गट्ठर बनाने का काम पूरे सुरक्षित तथा हाइजेनिक तरीके से करता है।
इस काम की शुरुआत के कुछ महीनों के भीतर ही लखनऊ तथा आस-पास के स्थानों के करीब 50 स्क्रैप डीलर्स ने प्रगति को नियमित तौर पर कैन्स का स्क्रैप बेचना शुरू कर दिया था। इन स्थानों में बाराबांकी, सीतापुर और लहरपुर आदि शामिल हैं। इस अवधि में 1.5 मिलियन से भी अधिक यूज्ड कैन्स स्क्रैप डीलर्स और कबाड़ बीनने वालों ने लखनऊ की गलियों और दुकानों से इकट्ठी की इन कैन्स को प्रोसेस करके रिसाइकल सेंटर्स को भेजा गया जहाँ उनसे फिर से एल्युमिनियम के उत्पाद जैसे कि पेय पदार्थों के लिए कैन बनाई गईं।
एक मैटल होने के नाते एल्युमिनियम की खासियत है कि उसको कई बार रिसाइकल किया जा सकता है और रिसाइकल करने के बावजूद वह खराब नहीं होता। यही कारण है कि अब तक दुनियाभर में खदानों से निकला गया 70 प्रतिशत से भी अधिक एल्युमिनियम अब भी प्रयोग में लाया जा रहा है। और यही कारण है कि प्रयोग में लाइ जा चुकीं पेय पदार्थों की एल्युमिनयम कैन्स को हर बार रिसाइकिल करके उनसे नई कैन्स बनाई जा सकती हैं। जिससे यह पेय पदार्थों की पैकेजिंग के लिए सबसे अधिक लम्बे समय के लिए उपयोग में लाई जा सकने वाली चीज बन जाती हैं।
इसलिए, ऐसा करने के लिए यह आवश्यक है कि पेय पदार्थों का उपभोग कर लेने के बाद फेंक दी गई एल्युमिनियम कैन्स को सही तरीके से गलियों, दुकानों, घरों और रेस्टोरेंट्स से इकट्ठा किया जाए। इस प्रक्रिया में छोटे कचरा बीनने वाले तथा स्क्रैप डीलर्स भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यहाँ यह भी जरूरी है कि कैन्स को इकट्ठा करने का यह काम पूरी तरह सुरक्षित तरीके और हाइजीन के साथ किया जाए, और फिर इन कैन्स को सही तरीके से कम्प्रेस करके रिसाइकल सेंटर्स तक भेजा जाए।
अब तक भारत में पेय पदार्थों के लिए उपयोग में लाई जा चुकी एल्युमिनियम कैन्स को इकट्ठा करने के लिए पूर्ण समर्पित कोई सुविधा नहीं थी। प्रगति कैन कलेक्शन सेंटर भारत में ऐसा करने वाला अपनी तरह का पहला सेंटर है और इसे खासतौर पर लखनऊ और इसके आस पास के क्षेत्र में कैन्स के बढ़ते उपयोग को देखते हुए स्थापित किया गया है।
नई और आधुनिक सुविधा के साथ प्रगति की टीम कचरा बीनने वालों तथा स्क्रैप डीलर्स को स्वतंत्र रूप से सुरक्षित और हाइजीनिक तरीके से कैन्स इकट्ठा करने का प्रशिक्षण भी देती है। यह इन लोगों को एक निश्चित और भरोसेमंद बाजार भी उपलब्ध करवाती है और इस तरह इन कचरा बीनने वालों को उस अनिश्चितता से भी बचाती है जिसका सामना उन्हें आमतौर पर करना पड़ता है।
इस अभियान और प्रगति के बारे में अपना अनुभव बताते हुए प्रगति से जुड़े एक स्क्रैप डीलर श्री धर्मेंद्र, ने कहा-‘प्रगति टीम बहुत ही अच्छी और सहयोगी रवैया रखने वाली है. वे समय-समय पर मुझसे मिलते हैं और नियमित यूज्ड कैन्स ले जाते हैं। उनके द्वारा तुरंत और प्रॉपर रिकॉर्ड के साथ एकदम सही भुगतान किया जाता है। किसी रेयर मुद्दे या किसी प्रकार की बढ़ोत्तरी के लिए एक पार्टनर सर्विस नंबर भी होता है. प्रगति, व्यवसायिक अवसर प्रदान करने के साथ ही पर्यावरण और समाज के लिए अच्छा काम कर रही है’।