– निवेश के लिए तैयार रहें बैंक

नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने बैंकों से कहा है वे निजी क्षेत्र को वित्तीय मदद के लिए हमेशा तैयार रहें। उन्होंने कहा कि महामारी से प्रभावित अर्थव्यवस्था में सुधार हो रहा है और इस गति को समय तक बनाए रखने के लिए भारी निवेश की जरूरत होगी।

अर्थव्यवस्था में उम्मीद से ज्यादा तेजी का श्रेय मुख्य तौर पर टीकाकरण और कम होते संक्रमण को जाता है। इससे उपभोक्ताओं का विश्वास भी बढ़ा है। त्योहारी सीजन के दौरान भारी मांग ने यह साबित भी किया है। भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए दास ने कहा कि कोरोना की दूसरी लहर के बाद अर्थव्यवस्था में सुधार हो रहा है। इसके लंबे समय तक कायम रहने की संभावना है

उन्होंने कहा क देश में काफी तेज गति से आगे बढ़ने की क्षमता है। निजी खपत सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के लगभग 56 प्रतिशत के साथ कुल मांग का सबसे बड़ा हिस्सा है और यह समावेशी, टिकाऊ और संतुलित विकास के लिए महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि ऐसे कई संकेत हैं, जिससे पता चलता है कि त्योहारी सीजन के चलते खपत की मांग में एक बार फिर से बढ़ी है। इससे कंपनियां क्षमता का विस्तार करने, रोजगार और निवेश को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहित होंगी। दास ने कहा कि पेट्रोलियम उत्पादों पर हाल ही में की गई कर कटौती से खपत को और बढ़ावा मिलेगा।

दास ने एक बार फिर क्रिप्टोकरेंसी को लेकर चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि वर्चुअल करेंसी देश की आर्थिक और वित्तीय स्थिरता के लिए खतरा पैदा कर सकती है। एक सप्ताह में यह दूसरी बार है जब केंद्रीय बैंक के गवर्नर ने क्रिप्टोकरेंसी को लेकर चिंता जताई है। खास बात यह है कि उनका यह बयान क्रिप्टो को लेकर आने वाले भ्रामक विज्ञापन पर प्रधानमंत्री द्वारा चिंता जताए जाने के कुछ दिनों बाद आया है। सोमवार को संसद की स्थायी समिति ने इससे जुड़े विभिन्न हितधारकों से चर्चा की थी।

100 से अधिक अनावश्यक सर्कुलर वापस : आरबीआई ने मंगलवार को नियमन समीक्षा प्राधिकरण द्वारा की गई सिफारिशों के बाद 100 से अधिक अनावश्यक सर्कुलर वापस ले लिए। इनमें से कुछ विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों द्वारा भारत में विदेशी निवेश, आरटीजीएस, अपने ग्राहक को जानें (केवाईसी), और मनी लांड्रिंग/ आतंकवाद के वित्त-पोषण की रोकथाम (सीएफटी) के मानकों से संबंधित हैं।

बैंकों के कारोबारी मॉडल पर नजर : क्तिकांत दास ने मंगलवार को कहा कि बैंकों के कारोबारी मॉडल और उनके द्वारा लिए गए फैसलों पर आरबीआई की पैनी नजर है। हालांकि उन्होंने स्पष्ट किया कि आरबीआइ का उद्देश्य बैंकों के वाणिज्यिक फैसलों में हस्तक्षेप करना नहीं है, लेकिन अगर कोई अप्रिय स्थिति बनती है तो यह बैंकों के लिए खतरे की घंटी होगी। बैंक अपने फैसले लें, हम हस्तक्षेप नहीं करेंगे।