नई दिल्ली। फ्लोटिंग ब्याज दरें वाले होम लोन या अन्य लोन में पारदर्शिता लाने के लिए आरबीआई ने बड़ा फैसला किया है. आरबीआई ने फ्लोटिंग रेट वाले होम या अन्य लोन की ईएमआई और ईएमआई की अवधि बढ़ाने को लेकर बैंकों और वित्तीय संस्थानों को उचित पॉलिसी फ्रेमवर्क तैयार करने के निर्देश दिए हैं.
10 अगस्त 2023 को मॉनिटरी पॉलिसी की घोषणा करते हुए आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने ब्याज दरों में बढ़ोतरी के बाद बैंकों द्वारा मनमाने तरीके कस्टमर को सूचित किए बगैर ईएमआई की अवधि या ईएमआई बढ़ाने का जिक्र किया था. तब गवर्नर ने कहा था कि कस्टमर से मिल रही शिकायतों के देखते हुए फ्लोटिंग इंटरेस्ट रेट वाले लोन के ब्याज दरों को रीसेट करने के तौर तरीकों के फ्रेमवर्क को और पारदर्शी बनाया जाएगा.
शुक्रवार 18 अगस्त 2023 को आरबीआई ने बैंकों – हाउसिंग फाइनैंस कंपनियों को इन चिंता का समाधान निकालने के लिए उचित पॉलिसी फ्रेमवर्क तैयार करने को कहा है जिसमें इन बातों का ध्यान रखना होगा जो इस प्रकार है –
1. लोन की मंजूरी देते समय बैंकों -हाउसिंग फाइनैंस कंपनियों को कर्ज लेने वालों को ये बताना होगा कि बेंचमार्क इंटरेस्ट रेट में बदलाव के बाद ईएमआई की अवधि या ईएमआई में बदलाव हो सकता है. आरबीआई ने इन वित्तीय संस्थाओं से कहा कि ईएमआई और उसकी अवधि में बदलाव के बारे में उचित माध्यमों के जरिए कस्टमर्स को अवगत कराया जाए.
2. लोन के ब्याज दर के रीसेट करने के दौरान, बैंकों और हाउसिंग फाइनैंस कंपनियों को अपने कस्टमर्स को बोर्ड से अप्रूव्ड पॉलिसी के आधार पर फिक्स्ड रेट लोन में स्विच करने का विकल्प उपलब्ध कराना होगा. साथ ही इन वित्तीय संस्थानों को ये भी बताना होगा कि कर्ज लेने वाला व्यक्ति ईएमआई भुगतान की अवधि के दौरान कितनी बार फ्लोटिंग से फिक्स्ड या फिर फिक्स्ड से फ्लोटिंग रेट वाले लोन में स्विच कर सकता है.
3. बैंकों और हाउसिंग फाइनैंस कंपनियों को अपने कस्टमर्स को ईएमआई बढ़ाने या ईएमआई की अवधि बढ़ाने या फिर दोनों ही ऑप्शन का विकल्प उपलब्ध कराना होगा. साथ ही अपने कस्टमर को पूरा या पार्ट में लोन की अवधि के दौरान के प्रीपेमेंट का विकल्प देना होगा. लोन के प्री-पेमेंट पेनल्टी या फोरक्लोजर चार्जेज मौजूदा निर्देश के अधीन होगा.
4. फ्लोटिंग से फिक्स्ड रेट में स्विच करने पर लगने वाले चार्ज के अलावा दूसरे सर्विस चार्ज या प्रशासनिक खर्च का खुलासा पारदर्शिता के दौरान लोन की मंजूरी के बाद जारी किए लेटर में खुलासा करना होगा. साथ ही जब भी इन चार्जेज की समीक्षा की जाती है तो इसके डिटेल्स सार्वजनिक करने होंगे.
5. बैंकों और हाउसिंग फाइनैंन कंपनियों को ये सुनिश्चित करना होगा कि फ्लोटिंग रेट लोन की अवधि बढ़ाये जाने के बाद उसके चलते नेगेटिव अमोर्टाइजेशन ना हो.
6. इन वित्तीय संस्थानों को अपने कस्टमर्स को उचित माध्यमों के जरिए हर तिमाही के आखिर में स्टेटमेंट उपलब्ध कराना होगा. जिसमें अब तक वसूले गए मूलधन – ब्याज का खुलासा करना होगा. साथ ही ईएमआई अमाउंट, बकाया ईएमआई और लोन के सलाना ब्याज दर के साथ पूरे लोन की अवधि के लिए एनुअल पर्सेंटेज रेट (APR) का डिटेल्स देना होगा. इन वित्तीय संस्थाओं को इस बात का ध्यान रखना होगा कि स्टेटमेंट सरल शब्दों में हो जो कर्ज लेने वाले कस्टमर आसानी से समझ सकें.
आरबीआई ने कहा है कि इन सुविधाओं का लाभ नए कस्टमर्स के साथ ही 31 दिसंबर 2023 तक अपने मौजूदा कस्टमर्स को उपलब्ध कराना होगा. माना जा रहा है कि आरबीआई के इस ऐलान से महंगी ईएमआई से परेशान लोगों को राहत मिल सकेगी.
आरबीआई गवर्नर ने ऐलान किया कि इस फ्रेमवर्क के तहत रेग्यूलेटेड एंटिटी यानि बैंकों, हाउसिंग फाइनैंस कंपनियों और कर्ज देने वाली इकाईयों को ईएमआई को रीसेट करने या फिर उसकी अवधि में बदलाव करने के दौरान कर्ज लेने वाले कस्टमर्स को सूचित करना होगा. यही नहीं बैंकों, हाउसिंग फाइनैंस कंपनियों को कर्ज लेने वाले कस्टमर्स को फिक्स्ड रेट वाले लोन के ऑप्शन को अपनाने का भी विकल्प देना होगा. साथ ही लोन के फोरक्लोजर का भी विकल्प देना होगा. इतना ही नहीं इन ऑप्शंस को अपनाने के लिए लगने वाले अलग अलग चार्जेज भी सार्वजनिक करने होंगे.
आरबीआई गवर्नर ने बताया कि कर्ज लेने वाले कस्टमर्स को सभी जरुरी सूचनाएं सही प्रकार से पहुंचानी होंगी. उन्होंने कहा कि आरबीआई के इस कदम से कस्टमर्स के हितों को मजबूत करने में मदद मिलेगी.