नई दिल्ली। रिलायंस इंडस्ट्रीज (आरआईएल) के ऑयल टु केमिकल (ओ2सी) कारोबार में 20 फीसदी हिस्सेदारी के अधिग्रहण के लिए आरआईएल और प्रमुख वैश्विक तेल कंपनी सऊदी अरामको के बीच सौदे को ठंडे बस्ते में जाना मुकेश अंबानी के नियंत्रण वाली कंपनी के लिए एक झटका है। विश्लेषकों ने यह बात कही है।

उनका मानना है कि इस खबर के मद्देनजर आरआईएल के शेयरों में आई गिरावट दीर्घावधि परिप्रेक्ष्य से लिवाली का एक अच्छा अवसर हो सकता है।

आईडीबीआई कैपिटल के अनुसंधान प्रमुख एके प्रभाकर ने कहा, ‘सऊदी अरामको के साथ होने वाले सौदे को ठंडे बस्ते में डाला जाना आरआईएल के शेयर के लिए भावनात्मक तौर पर नकारात्मक प्रभाव डालेगा क्योंकि इसके लिए काफी कुछ किया जा चुका था। सऊदी अरामको के साथ ओ2सी सौदे से वैश्विक तेल कंपनी के साथ खरीदारी के लिए बहुप्रतीक्षित दीर्घावधि अनुबंध हासिल हो सकता था। कंपनी का शेयर अपनी हालिया ऊंचाई से पहले ही लुढक चुकी है और मौजूदा स्तर से करबी 8-10 फीसदी की एक अन्य गिरावट दीर्घावधि लिहाज से खरीदारी का एक अच्छा अवसर होगा।’

आरआईएल और सऊदी अरामको ने 2019 में आरआईएल के ओ2सी कारोबार में 20 फीसदी हिस्सेदारी के अधिग्रहण के लिए एक गैर-बाध्यकारी आशय पत्र पर हस्ताक्षर किए थे। आरआईएल के ओ2सी कारोबार में उसकी रिफाइनिंग, पेट्रोकेमिकल्स, खुदरा ईंधन, विमान ईंधन एवं थोक मार्केटिंग कारोबार शामिल थे। इसके अलावा आरआईएल के शेयरधारकों ने अक्टूबर में एक प्रस्ताव पारित किया था ताकि सऊदी अरामको के चेयरमैन यासिर अल-रुमायन को स्वतंत्र निदेशक के तौर पर आरआईएल के बोर्ड में शामिल किया जा सके।

जेफरीज के विश्लेषकों ने कंपनी पर अपनी एक हालिया नोट में लिखा था, ‘आरआईएल के निदेशक मंडल में अरामको के चेयरमैन को शामिल किए जाने के साथ ही आरआईएल के ओ2सी कारोबार में अल्पांश हिस्सेदारी के अधिग्रहण के लिए लेनदेन की प्रक्रिया कैलेंडर वर्ष 2021 में पूरी हो सकती है। इस लेनदेन से ऋण बोझ में कमी, फीडस्टॉक सोर्सिंग पर तरजीही मूल्य निर्धारण और ओ2सी कारोबार में लाभप्रदता को बल मिल सकता है।’

चालू वित्त वर्ष की सितंबर 2021 तिमाही (वित्त वर्ष 22) के लिए आरआईएल ने 13,680 करोड़ रुपये का समेकित शुद्ध लाभ दर्ज किया था, जो सालाना आधार पर 43 प्रतिशत अधिक था। इस समीक्षाधीन अवधि के दौरान समेकित आधार पर शुद्ध राजस्व 1.67 लाख करोड़ रुपये के स्तर पर रहा, जो सालाना आधार पर 51 प्रतिशत था। ओटुसी और खुदरा कारोबारों के मजबूत योगदान से इसे समर्थन मिला था। आंकड़े बताते हैं कि वित्त वर्ष 22 की दूसरी तिमाही के दौरान समेकित राजस्व में आरआईएल के ओटुसी कारोबार खंड ने सर्वाधिक योगदान किया था जो 1.20 लाख करोड़ रुपये रहा।