वित्त वर्ष 2025 की चौथी तिमाही में इंडसइंड बैंक को 2,329 करोड़ रुपये का शुद्ध घाटा हुआ, जो बैंक के इतिहास का अब तक का सबसे खराब तिमाही प्रदर्शन रहा है।

 

इंडसइंड बैंक इन दिनों सेबी की सख्त निगरानी में है। बाजार नियामक यह जांच कर रहा है कि बैंक ने अपने डेरिवेटिव पोर्टफोलियो में हुई गड़बड़ी की जानकारी समय पर दी या नहीं। साथ ही, यह भी देखा जा रहा है कि क्या बैंक के वरिष्ठ अधिकारियों ने इस अहम जानकारी के बावजूद अपने शेयर बेचे।

जानकारी के मुताबिक, बैंक के तत्कालीन एमडी और सीईओ सुमंत कठपालिया ने मई 2023 से जून 2024 के बीच करीब 134 करोड़ रुपये के शेयर बेचे, जबकि डिप्टी सीईओ अरुण खुराना ने 82 करोड़ रुपये के शेयर बेचे थे। ये शेयर उन्हें ईसॉप्स के तहत मिले थे। अब सेबी यह जांच रहा है कि क्या उस समय उनके पास ऐसी गोपनीय जानकारी थी जिसका शेयर बाजार पर असर पड़ सकता था।

बैंक ने 10 मार्च को डेरिवेटिव गड़बड़ी की बात स्वीकार की थी, जिसका असर दिसंबर 2024 तक नेटवर्थ पर 2.35% तक पड़ सकता है। इसके चलते वित्त वर्ष 2025 की चौथी तिमाही में बैंक को 2,329 करोड़ रुपये का भारी घाटा हुआ, जो अब तक का उसका सबसे खराब तिमाही प्रदर्शन है।

सेबी के चेयरमैन तुहिन कांत पांडेय ने हाल में कहा कि आरबीआई भी इस मामले की जांच कर रहा है और सेबी यह सुनिश्चित कर रहा है कि कहीं खुलासे से जुड़े नियमों का गंभीर उल्लंघन तो नहीं हुआ।

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