नई दिल्ली। वा​णिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल की अध्यक्षता में वि​भिन्न मंत्रालयों में एक बैठक आयोजित की गई, जिसमें कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए।लाल सागर में संकट, कंटेनरों की किल्लत और निर्यात में आ रही गिरावट की चिंता के बीच सरकार ने कंटेनरों की आपूर्ति बढ़ाने और निर्यातकों की सहायता के लिए अहम फैसले लिए हैं।

​शिपिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया बड़े कंटेनर जहाजों का परिचालन शुरू करेगी और 5 अतिरिक्त पुराने कंटेनर जहाज खरीदेगी। साथ ही कंटेनर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (कॉनकॉर) खाली कंटेनरों में माल की लदाई और रखरखाव का शुल्क भी कम करेगी। बैठक में जहाजों की लोडिंग और हैंडलिंग लागत को कम करने और शीघ्र मंजूरी के लिए जवाहरलाल नेहरू पोर्ट अथॉरिटी (जेएनपीए) में कंटेनर स्कैनिंग की व्यवस्था करने का भी निर्णय लिया गया है।

मंत्री गोयल ने कहा, मुझे विश्वास है कि इन निर्णय से ​शिपिंग की लागत में काफी कमी आएगी और खाली कंटेनरों की उपलब्धता भी बढ़ेगी। इससे निर्यात की खेप को जल्दी से भेजना संभव होगा और बंदरगाहों पर भीड़-भाड़ भी कम होगा। उद्योग के अ​धिकारियों ने कहा कि इन फैसलों का असर दिखने में दो से तीन महीने लगेंगे।बैठक में ​ जहाजरानी, रेलवे, नागरिक उड्डयन, वित्त तथा वा​णिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अ​धिकारी भी शामिल थे।अगली बैठक अक्टूबर में होगी जिसमें इन निर्णयों के असर की समीक्षा की जाएगी।

बंदरगाह, जहाजरानी और जलमार्ग सचिव टीके रामचंद्रन ने कहा, ‘जिन प्रमुख मुद्दों की ओर ध्यान दिलाया गया उनमें से एक यह था कि विदेशी शिपिंग कंपनियां हमें स्लॉट नहीं दे रही हैं। भारतीय कंटेनर लाइनों की कमी के कारण हमें इस समस्या से जूझना पड़ रहा है। अब ​शिपिंग कॉर्पोरेशन नियमित तौर पर अपने जहाज चलाएगी। इसके साथ ही वह कंटेनरों की भी खरीद करेगी जिससे उसकी उपलब्धता बढ़ेगी।’

गौरतलब है कि अगस्त में निर्यात में 9.3 फीसदी की गिरावट आने के बाद ये फैसले लिए गए। लाल सागर में हूती विद्रोहियों द्वारा पिछले महीने ताजा हमले के बाद जहाजों को अब दूसरे मार्ग से लंबी दूरी तय कर गंतव्य की ओर जाना पड़ रहा है। कई चीनी उत्पादों पर अमेरिका द्वारा शुल्क बढ़ाए जाने की आशंका के कारण चीन सबसे पहले अपना माल लाद रहा है जिसके कारण अन्य देशों के लिए कंटेनर की कमी हो गई है।

किराये पर कंटेनर देने वाला ऑनलाइन प्लेटफॉर्म कंटेनर एक्सचेंज के अनुसार भारत में सितंबर 2024 में 20 घनफुट के कार्गो का औसत खर्च 1,113 डॉलर हो गया है जो अगस्त में 1,010 डॉलर था। जून तिमाही में 40 घनफुट वाले कार्गो का किराया भारत के वि​भिन्न बंदरगाहों पर 1,200 से 1,500 डॉलर था, जो अगस्त में बढ़कर 2,000 से 2,600 डॉलर तक पहुंच गया है।

रेलवे बोर्ड और कॉनकॉर के अ​धिकारियों ने कहा कि खाली कंटेनरों को अब बिना किसी शुल्क के 90 दिनों तक यार्ड में रखा जा सकता है। 90 दिन के बाद लगने वाला 3,000 रुपये के शुल्क को अब घटाकर 1,500 रुपये कर दिया गया है। साथ ही 40 घनफुट के कंटेनर में माल रखने और संभालने का शुल्क 9,000 रुपये से घटाकर 2,000 रुपये और 20 घनफुट वाले कंटेनर के लिए शुल्क 6,000 रुपये से कम करके 1,000 रुपये किया जाएगा।

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