एचडीएफसी बैंक ने UNDP इंडिया के साथ भागीदारी में ग्रेटर नोएडा इंडस्‍ट्रीयल डेवलपमेंट अथॉरिटी (GNIDA) के साथ एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्‍ताक्षर किये हैं। इस एमओयू के तहत शहर में एक स्‍वच्‍छता केन्‍द्र (मटेरियल रिकवरी फैसिलिटी) की स्‍थापना की जाएगी। इस सुविधा से ग्रेटर नोएडा के लोगों को फायदा होगा। बैंक ने अपने फ्लैगशिप सीएसआर प्रोग्राम ‘परिवर्तन’ के अंतर्गत इस प्रोजेक्‍ट को स्‍पॉन्‍सर करने के लिये लगभग 3 करोड़ रूपये का आवंटन किया है।

बैंक लो-कार्बन इकोनॉमी की ओर बढ़ने के लिए सरकार के सभी मिशन और पहलों से जुड़ा हुआ है। बैंक ने अपनी ईएसजी रणनीति के अंतर्गत पर्यावरण की सुरक्षा को एक बड़ा फोकस एरिया माना है। इसने अपने उत्‍सर्जन, ऊर्जा और पानी की खपत को कम करते हुए वर्ष 2031-32 तक कार्बन न्‍यूट्रल बनने का लक्ष्‍य तय किया है। बैंक उन प्रोजेक्‍ट्स को प्रोत्‍साहित करता है और उनमें निवेश करता है, जो कार्बन फुटप्रिंट कम करते हैं। बैंक जलवायु परिवर्तन और पर्यावरणीय जोखिमों का सामना करने में समुदायों को सहयोग भी देता है ताकि वे अपनी लोचशीलता को बढ़ा सकें।

यह नई सुविधा स्‍थायित्‍व को बढ़ावा देने के लिये ग्रेटर नोएडा और UNDP के लोगों तथा प्रशासन के साथ काम करने की दिशा में एक कदम है। ग्रेटर नोएडा अभी हर दिन लगभग 300 से 350 मेट्रिक टन कचरा पैदा करता है। स्‍वच्‍छता केन्‍द्र सूखा कचरा एकत्र कर उसे अलग-अलग करते हैं और रिसाइकलर्स के पास भेजने से पहले उसे रिकवर किया जाता है, इससे संसाधन क्षमता निर्मित होती है और चक्रीय अर्थव्‍यवस्‍था को सहयोग मिलता है।

ग्रेटर नोएडा में नया स्‍वच्‍छता केन्‍द्र हर महीने 200 से 300 मेट्रिक टन सूख कचरा रिकवर करेगा। एमओयू पर हस्‍ताक्षर के समय GNIDA के सीईओ श्री नरेन्‍द्र भूषण, एचडीएफसी बैंक के ब्रांच बैंकिंग हेड श्री अखिलेश कुमार रॉय, और UNDP इंडिया के प्‍लास्टिक वेस्‍ट मैनेजमेंट प्रोग्राम के प्रोजेक्‍ट मैनेजर और ऑफिसर इन चार्ज श्री श्रीकृष्‍ण बालाचंद्रन मौजूद थे।