नई दिल्ली। सरकार के प्रत्यक्ष कर संग्रह में चालू वित्त वर्ष के दौरान खासा बढ़ोतरी देखी गई है। वित्त राज्यमंत्री पंकज चौधरी ने सोमवार को लोकसभा में कहा कि पहली अप्रैल से 23 नवंबर के दौरान शुद्ध प्रत्यक्ष कर संग्रह लगभग 68 प्रतिशत बढ़कर 6.92 लाख करोड़ रुपये से अधिक रहा है। एक प्रश्न के लिखित उत्तर में चौधरी ने कहा, ‘चालू वित्त वर्ष में 23 नवंबर तक शुद्ध प्रत्यक्ष कर संग्रह 6,92,833.6 करोड़ रुपया था। यह वित्त वर्ष 2020-21 की इसी अवधि के मुकाबले 67.93 प्रतिशत ज्यादा है। वहीं वित्त वर्ष 2019-20 की तुलना में यह 27.02 प्रतिशत अधिक है।’
वित्त वर्ष 2020-21 और 2019-20 में पहली अप्रैल से 23 नवंबर के बीच शुद्ध प्रत्यक्ष कर संग्रह क्रमश: 4.12 लाख करोड़ रुपये और 5.44 लाख करोड़ रुपये से अधिक था। 23 नवंबर तक सकल प्रत्यक्ष कर संग्रह (रिफंड समायोजन से पहले) 8.15 लाख करोड़ रुपये से अधिक था। यह पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि की तुलना में 48.11 प्रतिशत ज्यादा है। राजधानी दिल्ली सहित देश के अन्य हिस्सों में कर चोरी की घटनाओं के बढ़ने के बारे में जब उनसे सवाल पूछा गया तो उन्होंने इससे इन्कार कर दिया।
राज्यों को जीएसटी क्षतिपूर्ति के बारे में चौधरी ने लोकसभा में कहा कि सितंबर तक जीएसटी क्षतिपूर्ति के तौर पर राज्यों को लगभग 52,000 करोड़ रुपये दिया जाना बाकी है। क्षतिपूर्ति के तौर पर 13,153 करोड़ रुपये की सबसे ज्यादा रकम महाराष्ट्र को दी जानी है। जबकि उत्तर प्रदेश को 5,441 करोड़ रुपये, तमिलनाडु को 4,943 करोड़ रुपये, दिल्ली को 4,647 करोड़ रुपये और कर्नाटक को 3,528 करोड़ रुपये दिए जाने बाकी हैं। अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, मिजोरम और नगालैंड को किसी तरह की क्षतिपूर्ति लंबित नहीं है।
छह वर्षो में पंजीकृत हुई सात लाख कंपनियां : पिछले करीब छह वर्षो के दौरान जहां पांच लाख कंपनियां बंद हुई हैं वहीं सात लाख नई कंपनियों का पंजीकरण हुआ है। कारपोरेट मामलों के राज्यमंत्री राव इंद्रजीत सिंह ने सोमवार को लोकसभा में बताया, ‘एक अप्रैल 2016 से अब तक के आंकड़ों पर नजर डालें तो कुल 5,00,506 कंपनियां बंद हुई हैं। जबकि कंपनी अधिनियम, 2013 के तहत 7,17,049 नई कंपनियां पंजीकृत हुई हैं। उन्होंने यह जानकारी तब दी, जब उनसे नोटबंदी, जीएसटी और कोरोना महामारी के बाद बंद हुई कंपनियों के राज्यवार आंकड़ों के बारे में पूछा गया।