भारतीय रिजर्व बैंक की मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी (MPC) की ओर से हर दो महीने में एक मीटिंग आयोजित की जाती है. जिसमें इकोनॉमी में सुधार पर चर्चा की जाती है. इस बार यह मीटिंग 4 जून को होगी . कोरोना की दूसरी लहर के चलते अप्रैल और मई के दौरान देश के अलग-अलग हिस्सों में लगाई गई सख्त पाबंदियों से भारतीय इकोनॉमी पर असर पड़ा है. ऐसे में सबकी निगाहें एमपीसी की बैठक पर टिकी हुई है. हालांकि आरबीआई ने संकेत दिया है कि ब्याज दरों में कोई खास परिवर्तन नहीं किया जाएगा.
विशेषज्ञों का मानना है कि महंगाई दर बढ़ने और कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर के बीच जारी अनिश्चितता के चलते भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) अपनी आगामी मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक में ब्याज दर को मौजूदा स्तर पर बनाए रखने का ऐलान कर सकती है. आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास की अध्यक्षता वाले रेट सेटिंग पैनल की बैठक 2 से 4 जून को होनी है. इससे पहले अप्रैल में हुई पिछली एमपीसी बैठक में भी आरबीआई ने प्रमुख ब्याज दरों को जस का तस रखा था. इसके अलावा प्रमुख उधार दर, रेपो दर को 4 प्रतिशत और रिवर्स रेपो दर या केंद्रीय बैंक की उधार दर 3.35 को प्रतिशत पर रखा गया था.
पिछले सप्ताह जारी आरबीआई की वार्षिक रिपोर्ट में यह पहले ही स्पष्ट कर दिया गया है कि वित्त वर्ष 2021-22 में मौद्रिक नीति का संचालन व्यापक आर्थिक स्थितियों को विकसित करने के मकसद से किया जाएगा. जब तक कि विकास की स्थिति पहले जैसी नहीं हो जाती बदलाव के आसार कम ही हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि केंद्रीय बैंक यह सुनिश्चित करेगा कि 2021-22 के दौरान सिस्टम-स्तरीय तरलता सहज बनी रहे. साथ ही वित्तीय स्थिरता कायम रहे.
आरबीआई के आंकलन में पाया गया कि विकसित सीपीआई मुद्रास्फीति प्रक्षेपवक्र पर दबाव बढ़ सकता है. खाद्य मुद्रास्फीति भी इस साल दक्षिण-पश्चिम मानसून की अस्थायी और स्थानिक प्रगति पर निर्भर करेगा. जबकि पेट्रोलियम की बढ़ती कीमतों के कारण मुद्रास्फीति में बने जोखिम से एमपीसी से संबंधित कार्रवाई में बाधा डालेगा.