– 10 महीने में 1.7 करोड़ नए डीमैट खाते खोले गए घरेलू निवेशकों द्वारा
– 02 गुना से अधिक डीमैट खाते खोले गए वित्त वर्ष 2020 के मुकाबले
– 47 लाख खाते खोले गए थे वित्त वर्ष 2020 में घरेलू निवेशकों द्वारा
– 40 लाख नए डीमैट खाते क्रमश: वित्त वर्ष 2018 और 2019 में खोले गए थे
– 17 लाख नए डीमैट खाते सिर्फ जनवरी 2021 में खोले गए
– 19 लाख डीमैट खाते खोले गए थे सितंबर, 2019 में जो रिकॉर्ड है
– पांच करोड़ से पार डीमैट खातों की संख्या
– 05 करोड़ 15 लाख डीमैट खातों की संख्या जनवरी में पहुंची
– 4.8 करोड़ डीमैट खाते थे वित्त वर्ष 2020 में और 35.9 करोड़ वित्त वर्ष 2019 में
क्यों डीमैट खाते खुलने में तेजी आई
कोरोना संकट के कारण पिछले साल बॉन्ड, एफडी और रियल एस्टेट में निवेशकों को मिलने वाले रिटर्न में कमी आई है। वहीं, शेयर बाजार में मई के बाद से जबरदस्त तेजी दर्ज की गई है। वित्त वर्ष 2021 में बीएसई का सेंसेक्स और निफ्टी में क्रमश: 72 और 75 फीसदी का उछाल आया। वहीं, स्मॉलकैप में 120 फीसदी और मिडकैप में 96 फीसदी की तेजी दर्ज की गई है। इससे शेयर बाजार निवेशकों को बंपर कमाई है। इसके देखते हुए छोटे निवेशकों ने बाजार में निवेश शुरू किया। इसके चलते डीमैट खाते खुलने में रिकॉर्ड तेजी दर्ज की गई।
महिला निवेशकों की भी हिस्सेदारी बढ़ी
शेयर बाजार में जुड़ने वाले नए निवेशकों में ज्यादातर मिलेनियल्स और महिलाएं रहीं। शेयर ट्रेडिंग कंपनी शेयरखान के मुताबिक, 2020 के मुकाबले 2021 में 77 फीसदी अधिक महिलाएं ने डीमैट खाता खोला। वहीं, 2019 के मुकाबले 2020 में महिलाओं द्वारा ट्रेडिंग खाते खोलने में 66 फीसदी की तेजी दर्ज की गई थी।
40 साल से कम उम्र की सबसे अधिक हिस्सेदारी
शेयरखान के मुताबिक, उनके यहां ट्रेडिंग खाता खोलने में 77 फीसदी हिस्सेदारी 40 साल से कम उम्र के लोगों की रही। यानी, युवाओं ने सबसे अधिक शेयर बाजार पर दांव लगाया है।
आईपीओ से निवेशकों की हुई बंपर कमाई
कोरोना संकट के बाद शेयर बाजार में जोरदार तेजी से आईपीओ निवेशकों की भी खूब कमाई हुई है। बाजार में तेजी से 78 फीसदी आईपीओ लिस्टिंग के दिन जोरदार उछाल के साथ खुले। रिपोर्ट के अनुसार, 23 में 18 आईपीओ ने निवेशकों को लिस्टिंग के दिन ही फायदा दिया। वहीं, वित्त वर्ष 2020 में यह आंकड़ा 69.23 फीसदी था।
बाजार में संभलकर करें निवेश
विशेषज्ञों, आरबीआई ने फिर से छोटे निवेशकों बाजार में तेजी को लेकर चेताया है। विशेषज्ञों का मनना है कि भारतीय बाजार का मूल्यांकण काफी अधिक है। ऐसे में कभी भी बडी़ गिरावट आ सकती है जिससे छोटे निवेशकों को बड़ा नुकसान हो सकता है।