बिना परमिट और सरकारी मंजूरी के बाइक टैक्सी सेवाएं चला रहीं कंपनियों पर मुंबई में शुरू हुई कानूनी कार्रवाई, कर्नाटक के फैसले के बाद बढ़ी निगरानी
मुंबई पुलिस ने मंगलवार को ऐप-आधारित परिवहन सेवाएं देने वाली कंपनियों रैपिडो और उबर के खिलाफ धोखाधड़ी और अवैध बाइक टैक्सी संचालन को लेकर आपराधिक मामला दर्ज किया है। यह कार्रवाई रीजनल ट्रांसपोर्ट ऑफिस (RTO) की शिकायत पर की गई, जिसमें कहा गया कि दोनों कंपनियां राज्य सरकार की अनुमति और वैध परिवहन लाइसेंस के बिना दोपहिया वाहनों के माध्यम से यात्रियों को सेवा दे रही थीं।
आरोप है कि निजी पंजीकरण वाले दोपहिया वाहनों को व्यावसायिक रूप से उपयोग में लाकर मोटर वाहन अधिनियम के नियमों का उल्लंघन किया जा रहा था। मुंबई पुलिस ने इस आधार पर भारतीय न्याय संहिता की धारा 318(3) और मोटर व्हीकल एक्ट की विभिन्न धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज की है।
अप्रैल 2025 में RTO ने रैपिडो को इस मुद्दे पर नोटिस जारी कर जवाब मांगा था, लेकिन संतोषजनक जवाब न मिलने पर कार्रवाई की सिफारिश की गई। ट्रांसपोर्ट कमिश्नर के निर्देश के बाद अब पुलिसिया स्तर पर मामला दर्ज कर लिया गया है, जिससे अन्य ऐप आधारित सेवाएं भी अब निगरानी के दायरे में आ गई हैं।
यह घटनाक्रम ऐसे समय में सामने आया है जब कर्नाटक राज्य में भी इन सेवाओं को अवैध घोषित किया जा चुका है। कर्नाटक हाईकोर्ट ने 13 जून को अपने फैसले में ओला, उबर और रैपिडो की बाइक टैक्सी सेवाओं को गैरकानूनी बताते हुए कहा था कि जब तक राज्य सरकार इनके संचालन के लिए स्पष्ट नियम—जैसे लाइसेंसिंग, बीमा और सुरक्षा प्रावधान—नहीं बनाती, तब तक इनका उपयोग अवैध रहेगा।इसके बाद 16 जून से कर्नाटक में इन सेवाओं का संचालन पूरी तरह बंद कर दिया गया।
अदालत ने सरकार को निर्देश दिए हैं कि वह छह सप्ताह में मौजूदा सेवाएं बंद कराए और तीन महीनों के भीतर विस्तृत नीति बनाए। परिवहन विशेषज्ञों का मानना है कि बढ़ती तकनीकी सुविधाओं और एग्रीगेटर प्लेटफॉर्म्स की लोकप्रियता के बावजूद उनके संचालन के लिए कानूनी ढांचा स्पष्ट नहीं है, जिससे यात्रियों की सुरक्षा और कानून व्यवस्था को लेकर जोखिम उत्पन्न होता है। मुंबई की यह कार्रवाई आने वाले समय में अन्य राज्यों के लिए भी मिसाल बन सकती है, जहां इसी तरह के मामलों में नीति और कानून के तहत कड़ी निगरानी और नियंत्रण की आवश्यकता महसूस की जा रही है।
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