नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने शुक्रवार को वृद्धिशील नकद आरक्षित अनुपात (आई-सीआरआर) को वापस लेने का फैसला किया। इसे 2,000 रुपये के नोट चलन से हटाने की घोषणा के बाद अतिरिक्त नकदी में कटौती के लिए लागू किया गया था।
आरबीआई ने एक बयान में आई-सीआरआर को चरणबद्ध ढंग से वापस लिए जाने की घोषणा करते हुए कहा कि इसकी शुरुआत शनिवार से हो जाएगी। रिजर्व बैंक ने 10 अगस्त को बैंकों को जारी निर्देश में कहा था कि 19 मई और 28 जुलाई के बीच वे 10 प्रतिशत वृद्धिशील नकद आरक्षित अनुपात (आई-सीआरआर) को बनाए रखें।
समीक्षा के बाद केंद्रीय बैंक ने I-CRR को वापस लेने का किया फैसला
इस कदम का मकसद बैंकिंग प्रणाली में 2,000 रुपये के नोटों की वापसी समेत विभिन्न कारकों से पैदा हुई अतिरिक्त नकदी को अवशोषित करना था। केंद्रीय बैंक ने एक बयान में कहा, ‘समीक्षा के बाद आई-सीआरआर को चरणबद्ध तरीके से वापस लेने का निर्णय लिया गया है। ‘
आरबीआई ने कहा कि नकदी से संबंधित मौजूदा और उभरती हुई स्थितियों के आकलन के बाद यह फैसला किया गया कि आई-सीआरआर के तहत वित्तीय प्रणाली से ली गई नकदी को चरणबद्ध ढंग से जारी किया जाएगा। इस फैसले के पीछे यह वजह रही कि प्रणाली को अचानक नकदी के झटके का सामना न करना पड़े और मुद्रा बाजार व्यवस्थित ढंग से कार्य कर सके।
I-CRR की 25 प्रतिशत राशि नौ सितंबर को और 25 प्रतिशत राशि 23 सितंबर को जारी होगी
आरबीआई ने कहा कि बैंकों के पास रखी गई आई-सीआरआर की 25 प्रतिशत राशि नौ सितंबर को और 25 प्रतिशत राशि 23 सितंबर को जारी की जाएगी। बाकी राशि सात अक्टूबर को जारी की जाएगी।आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने आई-सीआरआर की घोषणा करते समय संकेत दिया था कि यह प्रावधान नकदी प्रबंधन के लिए एक अस्थायी उपाय है। आरबीआई ने कहा था कि त्योहारी मौसम से पहले इस राशि को बैंकिंग प्रणाली में वापस लाने के लिए आठ सितंबर 2023 या उससे पहले आई-सीआरआर की समीक्षा की जाएगी।
क्या होता है I-CRR?
रिजर्व बैंक के मॉनिटरी पॉलिसी टूल में शामिल आईसीआरआर का मतलब है इंक्रीमेंटल कैश रिजर्व रेश्यो। इसका उद्देश्य सिस्टम में नकदी की सप्लाई और महंगाई पर नियंत्रण रखना होता है। ये बैंक की नेट डिमांड और टाइम लाइबिलिटी का एक हिस्सा होता है, जो कि फिलहाल 4.5 फीसदी है।